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________________ की हत्या करता था और सब उससे भयग्रस्त परेशान थे। उसकी क्रूरता को दूर करने का किसी को कोई उपाय नहीं मिलता था, ऐसा हत्यारा सामायिक की साधना के प्रभाव से दयालु बन गया, उसने हिंसा का त्याग किया और कष्ट को उठाकर शेष जीवन सामायिक में व्यतीत करके मुक्ति को प्राप्त कर गया। सामायिक के द्रव्य सामायिक और भाव सामायिक ये दो मुख्य भेद हैं । सामायिक ग्रहण करने के पूर्व जो विधि विधान किये जाते है - जैसे कि - आसन बिछाना पूंजनी रंजोहरण, मुखवस्त्रिका आदि धार्मिक उपकरण एकत्रित करके एक स्थान पर अवस्थित होना द्रव्य सामायिक है । द्रव्य सामायिक में आसन, वस्त्र, रजोहरण (गोछा, पूंजनी) मुखवस्त्रिका, माला आदि वस्तुओं स्वच्छ और सादगीपूर्ण होनी चाहिये । वे रंगबिरंगी न होकर श्वेत होने चाहिए। श्वेत रंग शुक्ल और शुभध्यान का प्रतिक है। भाव सामायिक वह है जिसमें साधक आत्मभावमें स्थित रहता है। सामायिक में द्रव्य और भाव दोनों की आवश्यकता है। सामायिक जैन साधना की विशुद्ध साधना पद्धति है और प्रत्येक जैन के लिए यह एक अनिवार्य साधना है। समस्त प्राणियों के प्रति समभाव - राग-द्वेष का अभाव सामायिक है। इष्ट-अनिष्ट आदि विषमताओं में रागद्वेष न करना, बल्कि साक्षीभाव से उनका ज्ञाता - द्रष्टा बनकर एक मात्र शुद्ध चैतन्यमात्र (समतास्वभावी आत्मा) में स्थित रहना, सर्व सावद्ययोगोंसे विरत रहना सामायिक है। ५३ ___ भगवान महावीर स्वामीने अपनी अंतिम देशनामें उत्तराध्ययन सूत्रके उन्तीसवे अध्ययनमें सामायिकसे जीव क्या प्राप्त करता है ? इस प्रश्न के उत्तरमें भगवान ने कहा कि- सामायिक से जीव सावध योगोंसे विरती को प्राप्त होता है।५४ ___अधार्मिक प्रवृत्तिका त्याग करके समभावमें स्थित रहना, श्रावकोंको व्रतमें सामाईक, व्रत करने का निर्देश है।५५ बौद्ध और वैदिक धर्म की साधना पद्धती : श्रमण संस्कृतिमें सामायिक विशुद्ध साधना पद्धति है। इस साधना पद्धति की तुलना आंशिक रुप से अन्य धर्मोंकी साधना पद्धति से की जा सकती है। बौद्ध धर्म श्रमणसंस्कृति की ही एक धारा हैं। उस धारामें साधना के लिए अष्टांगिक मार्ग का निरुपण है ।५६ (१८९)
SR No.002297
Book TitleJain Dharm ke Navkar Mantra me Namo Loe Savva Sahunam Is Pad ka Samikshatmak Samalochan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharitrasheelashreeji
PublisherSanskrit Bhasha Vibhag
Publication Year2006
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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