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________________ चिंतन किया जाए तो सभी संकट दूर करनेकी, साधक के अनेक जन्मों के कर्मो को नाश करने की और सर्वोत्तम मंगलकी प्राप्तिकी विशेषता इस मंत्र में है।२ नमस्कार महामंत्र केवल जैनों के लिए ही कल्याणकारी नहीं है, संसार के किसीभी व्यक्ति के कल्याणका महान उद्देश्य इस मंत्रमें दर्शाया गया है। यदि विश्वका कोई भी प्राणी इस मंत्र का रटन करें तो उसकी उन्नति अवश्य होगी। इस महामंत्र के जाप या स्मरण से मनमें उठनेवाले विकारी भावों एवं किसी दूसरों के अकल्याण का विचार मात्र भी नष्ट हो जाता है। दु:ख को दूर करनेवाला सुख को प्राप्त करनेवाला, भवसमुद्र से पार करनेवाला और अनेक जन्मों के कष्टों को दूर करनेवाला यह महान कल्याणकारी मंत्र है। ज्ञानियोने दर्शाया है कि - नमस्कार महामंत्र इस संसार को श्रेष्ठ मंत्र है, तीनों जगत में अनुपम है। सभी पापों को क्षय करनेवाला है और सिद्ध गति को प्राप्त करनेवाला है। भवभ्रमण से मुक्ति प्रदान करनेवाला नमस्कार महामंत्र संसार के सभी साधकों के लिए परम उपकारी है, परम कल्याणकारी है। आत्मरक्षा के लिए नमस्कर महामंत्र महान उपकारी है। संसार की आधि-व्याधी और उपाधी से मुक्ति देनेवाला मंत्र सबके लिए महान हितकारी है। नवकार मंत्र के ध्यान से आत्मा-प्रकाशित होती है। अंधकार दूर होता है और उत्तरोत्तर प्रकाश की वृद्धि होती है, दोषों का परिहार होता है और गुण का विकास होता है। अखिल विश्वके कल्याण और मांगल्यका उत्तम उद्देश्य इस महामंत्र में मिल सकता है, इसलिए हम अवश्य कह सकते हैं कि यह महामंत्र विश्वजनीन है अर्थात् विश्व का कोई भी प्राणी इस की सहायता लेगा, उसका अवश्य कल्याण होगा और उसे परम शांति होगी वर्तमान विश्वकी अशांतिको दूर करनेका महान कल्याणकारी मंत्र यह सिद्ध हो सकता है। नमस्कार महामंत्र किसी भी साधकके भीतर के अशुभ भावोंको नाश करता है। इस संसार में - जैन दर्शन के मुताबिक कहे तो चौदह राजुलोक में एक भी जगह ऐसी नहीं है कि - जहाँ जीव का जन्म और मृत्यु न हुआ हो। इस सत्य को ख्याल में रखकर हमारी साधना ऐसी होनी चाहिये कि - संसार के सभी प्राणी मेरे मित्र है। मेरा किसी से बैर नहीं है। सारा विश्व एक विशाल परिवार है। “मैं सबका कल्याण चाहता हूँ, मेरे लिए कोई विदेशी नही है, पराये नहीं है । विश्वनागरिक की मंगलभावना प्रत्येक व्यक्ति को परम शांति और परमआनंद प्राप्त करनेमें सहायक बनी रहे, यही नवकार मंत्र की भावना है। मेरी प्रार्थना है। स्नेह, मैत्री और क्षमा विश्वकी समस्त मानव जाती का कल्याण करें यही नवकारमंत्र का प्रथम उद्देश्य है और इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हम सब सम्यक् पुरुषार्थ करें यही हमारी शुभभावना है।"३ (१७५)
SR No.002297
Book TitleJain Dharm ke Navkar Mantra me Namo Loe Savva Sahunam Is Pad ka Samikshatmak Samalochan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharitrasheelashreeji
PublisherSanskrit Bhasha Vibhag
Publication Year2006
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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