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________________ दुनिया है । अंत में मैं इतना ही कहना चाहती हूँ कि - यह जो मंगलपाठ है - चत्तारि मंगलं यह एक उत्कृष्ट और उन्नत मंगलपाठ है। भले ही यह मंगलपाठ नवकार मंत्र का उत्तरवर्ती अंश हो, फिर भी पूर्ववर्ती अंश से कम वजनदार नहीं है। इसका अपना विशिष्ट महत्त्व है। १९१ . नवकार मंत्र और कथा का महत्त्व नवकार मंत्र के महत्त्व को और फल को प्रगट करनेवाली अनेक कथाएँ जैन साहित्य में आई हैं। दृष्टांत यह सिद्धांत है। कथा के माध्यमसे छोटा बच्चा भी बात को समझ जाता है। चार-अनुयोग में धर्मकथानुयोग का भी बड़ा महत्त्व है। जो माता अथवा दादी माँ अपने बच्चों को महापुरुषों की कथा सुनाती हैं । ये बच्चे आगे जाकर महान बनते हैं। संस्कारी बनते हैं। दिगंबर और श्वेतांबर दोनों संप्रदायोके धर्मकथा साहित्यमें इस महामंत्र नवकार का बड़ा भारी फल बताया गया है । पुण्याश्रव और आराधना कथाकोष के अतिरिक्त अन्य पुराणों में भी इस महामंत्र को प्रगट करनेवाली कथाएँ हैं। एक बार जिसने भी भक्तिभाव पूर्वक इस महामंत्र का उच्चारण किया वही उन्नत हो गया। अनेक संकटोंसे पार करनेवाला यह नवकार मंत्र हैं। नवकारमंत्र के प्रभाव से अनेक आत्माएँ भवसागर तीर गई हैं। इसीके प्रभावसे जीवोंका उद्धार हो गया है। नवकार मंत्र के प्रभाव से अग्निका पानी हुआ है, सूलिका सिंहासन हो गया हैं। विष का अमृत हो गया है। __ ऐसे प्रभावशाली श्री नवकार मंत्रकी सर्वश्रेष्ठताका क्या वर्णन करें - उस नवकार मंत्र की श्रेष्ठता का वर्णन प्रकीर्णक में इस प्रकार आया है। 'किं तपः श्रुतचरित्रौश्चिरमाचरितैरपि । सखे ! यदि नमस्कारे, मनो लेलीयते न ते ॥' दीर्घकाल तक तप, श्रुत और चरित्र का आचारण करने से क्या फल ? हे मित्र ! श्री नमस्कार महामंत्रमें चित्त लीन न बना तो दीर्घकालतक किये हुए तप, श्रुत और चरित्र निष्फल है। नवकार मंत्रमें चित्त ध्यानस्थलयलीन बने तो ही सफल हैं। १९२ ऐसे प्रभावशाली, सर्वश्रेष्ठ नवकार मंत्र की प्रभावशाली कथाओंमेंसे निम्नलिखित कुछ कथाएँ यहाँ वर्णित की है। (१४८)
SR No.002297
Book TitleJain Dharm ke Navkar Mantra me Namo Loe Savva Sahunam Is Pad ka Samikshatmak Samalochan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharitrasheelashreeji
PublisherSanskrit Bhasha Vibhag
Publication Year2006
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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