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कृतज्ञता - अभिव्यक्ति
प्रस्तुत शोध ग्रंथ के लेखन कार्य में प्रत्यक्ष - अप्रत्यक्ष रुपमें अनेक पूजनीय, वंदनीय, स्मरणीय, गुरुवर्यों का आशीर्वाद, कृपादृष्टि और सत्प्रेरणा हैं। उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना यह मेरा प्रथम कर्तव्य हैं।
मेरे आध्यात्म जगत की दिव्यज्योति, अमृतवाणीद्वारा जनता के लिए धर्मसुधा की वृष्टि करनेवाले, पवित्र हृदया, विश्वसंत, जिनशासन चंद्रिका, मेरे जीवन के शिल्पकार, मेरी गुरुणीमैया, बा.ब्र. महासतीजी, पू. उज्ज्वलकुमारीजी महाराज जो. संपूर्ण साध्वी समुदाय के लिए हमेशा प्रेरणा की दिव्य मूर्ति थी। उनकी दिव्य परंपरा में मेरा शैक्षणिक, साहित्यिक और इस शोधकार्य में परोक्षरुप से उनका आशीर्वाद स्फूर्तिदायक बना है। ऐसी महान प्रभाविका पवित्र आत्मा को मैं शतशत वंदन करके श्रद्धान्वित और कृतज्ञ हुई।
मेरी आराध्य गुरुबहन आध्यात्म योगी उज्ज्वलसंघ प्रभाविका, विश्वशांतिरत्न, प.पू. डॉ. धर्मशीलाजी महाराज एम.ए. पी.एच.डी. साहित्यरत्न जिनकी छत्रछायामें और सतत् सानिध्यमें मुझे अपने विद्या, संयम और साधनामय जीवनमें नित्य प्रेरणा मिली और मार्गदर्शन मिला। उनका भी मैं तहेदिल से आभार व्यक्त करती हूँ।
मेरे इस शोधकार्य में शुभकामना रखनेवाले स्वाध्याय प्रेमी विवेकशीलाजी महाराज तथा मुझे हमेशा सहयोग देनेवाले और सद्भावना रखनेवाले डॉ. पुण्यशीलाजी, भक्तिशीलाजी,
और लब्धिशीलाजी इनके प्रति भी मैं अपना आभार व्यक्त करती हूँ। ___ इस शोधकार्य में महत्त प्रयत्न से विविध समस्या का समाधान करके, कुशलतापूर्वक मार्गदर्शन करनेवाले संस्कृत प्राकृत, पाली आदि प्राच्य भाषा के ज्ञानी और भारतीय दर्शन के विविध पक्षके मनीषी, प्राकृत शोध संपन्न, वैशाली और मद्रास-विश्व विद्यालय के पूर्व प्राध्यापक डॉ. छगनलालजी शास्त्रीद्वारा अविस्मरणीय मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। मैं उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती हूँ । उनके शिष्य डॉ. महेंद्रकुमार रांकावत इन्होने भी सहयोग दिया इसलिए उन्हें भी धन्यवाद देती हूँ।
जैन विद्या अनुसंधान, प्रतिष्ठान, मद्रास के प्रेसिडेन्ट और अहिंसा रिसर्च फाउन्डेशन के निर्देशक, तत्वनिष्ट, उदार हृदयी, प्रबुद्ध समाजसेवी, पितृतुल्य श्रावकवर्य श्री सुरेन्द्रभाई मेहता इनकी विद्या विनियोग की अभिरुची और संतसेवा की उत्कृष्ट भावना श्लाघनीय हैं। उनके अपूर्व सहकार्य के प्रति उन्हें धन्यवाद देती हूँ।
घाटकोपर के प्राध्यापक डॉ. रसीकभाई शाह, उनके सहयोग के लिए भी आभार व्यक्त करती हूँ । सरलात्मा सुदृढ़ श्राविका तथा आदर्श शिक्षिका सौ. पद्माबाई बाँठीया ने भी अति