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Grace अपना कार्य करता है। Gratitude द्वारा हम हलके बनते हैं, जिससे हमें प्रभुका Grace उपर ले जाता है। __ आत्म कल्याण के लिए आत्म स्वरुपके चिंतनकी अत्यंत आवश्यकता है। इस चिंतन का प्रमाद किया तो जन्म, मरण, दु:ख इत्यादि भयंकर शत्रु आक्रमण करेंगे। इसलिए आत्मा को सतत जागृत रखने के लिए चिंतन करने की अत्यंत आवश्यकता है। ___ मोह बुद्धि से जो कुछ होता है वह प्रमाद हैं, परंतु मोहरहित बुद्धि से जो कुछ होता है , वह अप्रमाद हैं। क्षणमात्र का भी प्रमाद न करके हमेशा शुभ और शुद्ध विचार करने के लिए नवकार मंत्र आलंबन रुप है।
प्रकरण ६
उपसंहार, उपलब्धि और निष्कर्ष -
प्रस्तुत शोध प्रबंध में नवकार मंत्र के संबंध में किया हुआ समीक्षात्मक विवेचन का इस प्रकरणमें उपसंहार किया है। उप याने समीप, नजदीक और संहार याने नाश करना, विध्वंस करना । अर्थात् मुमुक्षु जीव के दोषों का अत्यंत निकट से संपूर्णत: नाश करना, छेदन करना याने उपसंहार है।
नवकार मंत्र के ग्रंथरुपी प्रासाद का निर्माण होने के बाद इस दिव्य प्रासाद के शिखर पर उपसंहार रुपी कलश इस प्रकरण में चढ़ाया गया है।
इसके छह प्रकरण छह काय जीवकी रक्षा करने का संदेश दे रहे हैं। नवकार मंत्र का और साधु पद का चिंतन, मनन हरेक जिज्ञासु के लिए कल्याणकारी, शुभकारी,आध्यात्म रसके रसीकों के लिए आनंद रससे परिपूर्ण करनेवाला, आंतरिक तृप्ति देनेवाला होवे यही मंगल अभिलाषा है।
प्रबंध लेखन का उद्देश्य मुमुक्षु साधकों को और जैन दर्शनानुसार उपासना करनेवाले साधकों को एक बौद्धिक और आध्यात्मिक सीमातक साधन उपलब्ध कर देना यह है। परीक्षक इससे सहमत होंगे ऐसा विश्वास है।
नवकार मंत्र के स्मरण से और साधुपदकी आराधना से आत्मा जीव से शीव, भक्त से भगवान, आत्मा से परमात्मा बन सकता है।