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सहयोग दिया इसलिए उनका आभार मानती हूँ। सेवाभावी सुश्रावकजी नेमिचंदजी कटारिया
और सेवानिष्ठ सुश्रावकजी माणकचंदजी कटारियाने भी सहयोग दिया, उनका भी आभार मानती हूँ । सेवाभावी हमेशा सभी प्रकार से सहयोग देनेवाले सुश्रावक तथा सुश्राविका सौ. चंदनबेन तथा डॉ. धीरेंद्रभाई गोसलिया इनका भी आभार व्यक्त करती हूँ।
पूना निवास सेवाभावी श्री. महेशभाई भोगीलाल दोशीने प्रबंध में पूर्ण सहायता की इसलिए उन्हें धन्यवाद देती हूँ।
मुंबईका घाटकोपर संघ, सोलापूर संघ, चैन्नई संघ तथा पुना के श्रमणोपासक के प्रति भी आभार व्यक्त करती हूँ । जिन्होंने सहृदयता और भक्तिभाव से अध्ययन के लिए अपेक्षित सामग्री मिलाकर देनेमें सहयोग दिया।
करुणा, अनुकंपा और मानवता से जिनका जीवन पूरा भरा था, अपनी संतानों में संस्कार देने का काम उन्होने बचपनसेही किया था। “सादा जीवन उच्च विचार" ऐसा जिनका जीवन था ऐसे श्री सेवाभावी दृढ़धर्मी, समाजसेवी, सुश्रावकजी, करुणामूर्ति, मेरे संसारी मातुश्री - पिताश्री सौ. प्रभावतीबेन साराभाई पारेख, जिन्होंने मुझे संयम मार्ग की ओर प्रेरित कर, संयम दिलाया और उच्च शिक्षण में सहयोग दिया । वैसेही मेरे संसारी भाई-भाभी सौ. शोभानरमेशभाई, सौ. दक्षाबेन-हसमुखभाई, सौ. मालाबेन, दीपकभाई पारेख तथा संसारी बहन सौ. कलाबेन महेंद्रभाई वोरा इनका भी अत्यंत सहयोग रहा, इसलिए मैं तहेदिल से आभार व्यक्त करती हूँ।
मेरे सुश्रावकजी पोपटलाली शिंगवी तथा उनकी सुपुत्री उज्ज्वला रविन्द्रजी लुंकड तथा शारदा अशोकजी छाजेड़का भी सहयोग के लिये आभार मानती हूँ। अध्यक्ष विजयकांतजी कोठारी और विजयकुमार भटेवडा इनके सहयोग के लिए उनकी भी आभारी हूँ।
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