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मान्यतानुसार जीवमात्रमें शुभ गुणोंका भंडार भरा है। विषय और कषाय से उन गुणोंको जीव पहचान नहीं सकता। किसी भी तरह का आवरण हमें सच्चाई का दर्शन करानेसे रोकता है के अंधकार से प्रकाश की ओर जाने की प्रवृत्ति नवकारमंत्र की सहायतासे सरलतासे कर सकते हैं। अरिहंत और सिद्ध की शरण लेने से मानव का जन्म सार्थक हो जाता है और वह सिद्ध गतिभी प्राप्त कर सकता है। नवकार मंत्र हमें स्वरूप को पहचानने की अनोखी शक्ति प्रदान करता है और इस धरती पर का हमारा आगमन सार्थक हो जाता है। समता, शुद्धि, समृद्धि , शांति और समाधि प्राप्त करने के लिए नवकारमंत्र से बढ़कर और कोई मंत्र है ही नहीं ।७४
महामंत्र का उपकार
श्री पंचपरमेष्टि नमस्कार महामंत्र गुणानुराग का प्रतिक है। यदि किसी के जीवनमें गुणानुराग गुण न हो तो, इस मंत्र से प्रगट होता है और हो तो उसमें वृद्धि होती है । अंतरात्मा भावको लानेवाला उसे टीकानेवाला, बढ़ानेवाला और अंतमें परमात्मा भावतक पहुँचानेवाला परमेष्टि नवकार है, इसलिए मार्गानुसारी की भूमिका से लेकर सम्यक दृष्टि, देशविरति और सर्व विरति धर्म तमाम जीवों की आराधना में परमेष्टि नमस्कार परम अंग
श्री नमस्कार महामंत्र का स्मरण, अज्ञान आदि से उपार्जन किये गये अशुभ संस्कारो को सरलतासे बदलकर आत्मशक्ति के विकास के मौलिक कार्य में उपयोगी बनाता है। इसलिए श्री नवकार लोकोत्तर महामंत्र है।
श्री नवकार के प्रभाव से आत्मामें उच्चकोटिका वीतराग भाव धीरे धीरे अवश्य विकसीत होता है। इसके द्वारा आत्मशक्तियाँ स्वतंत्ररूप से कार्य करती हुई जगत् के उत्तम महामूल्य पदार्थोंकी ओर स्वत: आकर्षण पैदा करती है, इसलिए सर्वमंगलोंमें श्रेष्ठ मंगल श्री नवकार महामंत्र है।
इस महामंत्र के वर्णो की संयोजना किसी अद्भूत गणित, विज्ञान के गूढ़ सिद्धांत पर मालूम होती है कि - जिससे अल्प प्रयत्न से साधक की वृत्तियों में उर्ध्वमूखता आ जाती है। साधक ने जितनी परिणाम शुद्धि जापद्वारा प्राप्त की हो, उतनी ही मंत्र सिद्धि शीघ्र होती है। अन्य मंत्रों के जाप से होनेवाली परिणाम की शुद्धि की अपेक्षा श्री नवकार के जाप से परिणाम की विशुद्धि अल्प प्रयत्न से अधिक प्राप्त होती है। इस कारण श्री नवकार मंत्र मंत्राधिराज गिना जाता है।
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