________________
यह नमस्कार मंत्र महामंत्र इसलिए है कि - इसके साथ कोई भी मांग जुड़ी हुई नही है । इसके पीछे कोई कामना नहीं हैं। इसके साथ केवल जुड़ा हुआ है - आत्माका जागरण, चैतन्यका जागरण, आत्मा स्वरूपका उद्घाटन और आत्माके आवरणों का विलय क जिस व्यक्ति को आत्म जागरण उपलब्ध हो गया, उसे सब दुःख उपलब्ध हो गया। कुछ भी शेष नहीं रहा। सोया हुआ प्रभु, जो अपने भीतर है, वह जाग जाए, अपना परमात्मा जाग जाए । वहाँ सचमुच वह मंत्र महामंत्र बन जाता है। ___ इस महामंत्र में भूतकालमें अनेक जीवों के जीवन को उज्ज्वल बनाया है और भविष्य में भी उन्नति के इच्छुक आत्मा के लिए इस महामंत्र का शरण आवश्यक है। भौतिकवाद के इस युगमें अध्यात्मवाद का अमीपान कराने के लिए नमस्कार महामंत्र के समान कोई साधन नही है। कोई निर्मल और सरल मंत्र नहीं है। नमस्कार महामंत्र के विधिपूर्वक जापसे, कुविकल्पोंसे मनका रक्षण होता है। विकल्पों से मनका रक्षण करना महत्त्वपूर्ण है। वर्तमानयुग में धन, सत्ता, और वैभव और रक्षण के लिए देहबल और आरोग्य के रक्षण के लिए अनेक साधनों की शोध हुई है, परंतु संकल्प-विकल्प से मनके रक्षण के लिए कोई शोध हो नही पाई है। उसके लिए यह महामंत्र ही समर्थ साधन है। पूर्व महर्षियोने मन के रक्षण के लिए अनेकविध मंत्र बतलाए हैं। उनमें नमस्कार महामंत्र का स्थान सर्वोच्च है।
धन, वैभव, और सत्ता की प्राप्ति में मानव जीवन का सच्चा पुरूषार्थ नहीं है किंतु अपने मनको जीतना यही परम पुरूषार्थ है और उस पुरुषार्थ की सिद्धि नमस्कार मंत्र से प्राप्त हो सकती है।
नवकारमंत्र स्वरूप मंत्र और विश्व का उत्तम मंत्र
जैनदर्शन७० विश्वके प्रत्येक जीव के कल्याण और मांगल्यमें विशेष रूचि रखता है और साधकों की साधना और आराधना के लिए भिन्न भिन्न साधना पद्धतिका उल्लेख भी मिलता है। साधनामें मंत्रशक्ति का भी विनियोग किया जाता है। जैनों का नवकार मंत्र अमर मंत्र है । सारे विश्व के कल्याण की शक्ति इस मंत्रमें समाहित है। देव, गुरू
और धर्म ७१ इन तीन तत्त्वोंकी सहायता से विश्वका कोई भी मानव मोक्ष प्राप्त कर सकता है। नवकारमंत्र के अंतिम चार पदोंमें - चूलिकामें इस मंत्र की फलश्रुति या प्राप्ति का वर्णन मिलता है। साधकके मात्र इस जन्म के नही, पूरे के अनेक जन्मोंका, पुरे कर्मोंका नाश करनेकी शक्ति, व्यक्ति को सभी पापोंसे मुक्त करने की ताकद नवकारमंत्र में है। “सव्व पाव पणासणों"
(९२)