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आगम-आगमया ने आप्तवाणी । आगम ग्रंथ जैन साहित्य में जिनका असाधारण महत्त्व
है
| आगम ग्रंथ के अभ्यास से अष्ट कर्म नष्ट होते हैं । आगम ग्रंथका चिंतन, मनन करना यह सच्चा स्वाध्याय है । स्व- आत्मा, अध्याय अभ्यास, निरीक्षण, परिक्षण करना, स्वयंकी आत्माका ज्ञान प्राप्त करना स्वाध्याय हैं। नवकार मंत्र का चिंतन एक प्रकार से आत्म शुद्धि के लिए निर्मल जल है ।
धर्म - वस्तु का स्वभाव धर्म है । 'वत्थु सहाओ धम्मो ।' दुर्गतिमें पड़नेवाले जीवको बचाने वाला धर्म है । मन पर विजय मिलाना धर्म है । पाँच इंद्रियों को वश करना धर्म है । व्रत, नियम का पालन करना धर्म है । कषाय पर विजय मिलना धर्म है । मोह, ममत्व नष्ट करनेसेही जीवनका अंतरबाह्य विकास होता है । मोह न छोड़ते हुए सिर्फ धार्मिक क्रिया की, तो आत्माका विकास नहीं होता, और संसार परिभ्रमण कम नहीं होता, इसलिए धर्म के स्वरुप का ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है। प्रस्तुत प्रबंध में आत्मशुद्धि, आत्मविकास, आत्मावलोकन करने के लिए जैन धर्म के नवकार मंत्रमें ‘णमो लोए सव्व साहुणं' इस पद का समीक्षात्मक समालोचन का अभ्यास करके मेरे क्षयोपशम के अनुसार आलेखन किया है ।
प्रकरण २
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जैन धर्म में नवकार मंत्र और भारतीय मंत्र विद्याओं में नवकार मंत्र का स्थान -
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इस प्रकरण में नवकार मंत्र का आदि प्रयोग, बाह्य और आंतरिक स्वरुप, नवकार मंत्र की शक्ति, नवकार मंत्र का महत्व, नवकार महामंत्र क्यों ? नमो पद की विशेषताएँ, पंचपरमेष्ठि का विवेचन, णमो लोए सव्व साहूणं का रहस्य, नमस्कार समीक्षा, मंत्र की परिभाषा, मंत्र की महत्ता, मंत्र का अंतर्जागरण, आदि विषयोंका संक्षिप्त परिचय इस प्रकरण में दिया गया है ।
अनादि काल से जीवात्मा संसार का चिंतन करता है । नवकार मंत्र मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति है | नवकार मंत्र भयसे मुक्त करने का सामर्थ्य रखता है । मनुष्य जन्म के चक्रों को स्थगित करने की क्षमता नवकार मंत्र रखता है । नवकार मंत्र यह आत्मा से परमात्मा के मिलन करने का साधन है। दुनियामें बहुत मंत्र है, परंतु नवकार मंत्र को सर्वोत्कृष्ट स्थान मिला है। जिस साधु का अंतरात्मा नवकारमंत्रसे शुद्ध होता है वह आत्मा पानीपर तैरनेवाली नौका के समान संसार सागर को पार करके सभी दुःखों से मुक्त होकर परम सुख को प्राप्त करता है ।
नवकार मंत्र की साधना याने वैराग्यको प्राप्त करना है और वैराग्य ही मोक्षरुपमें फलीभूत