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हो क्योंकि - उनकी आत्मामें भी वह असीम शक्ति विद्यमान है, जिससे वह परमात्माभाव प्राप्त कर लेनेमें समर्थ हो सकते हैं।५४
नवकार महामंत्र क्यों?
जैन शासनमें आज तक अनेक संप्रदाय बने, शाखा-प्रशाखाएँ निकली। उत्तरकालीन जैन साहित्य में घोर पक्षापक्ष की झलक आई, तथापि, नमस्कार महामंत्र की निर्विकल्प आस्था पर कोई असर नही आया। हिंदु धर्म में जो स्थान गायत्री मंत्र का हैं, बौद्ध संपद्राय में जो स्थान त्रिशरण का है, वही स्थान जैन शासनमें नमस्कार महामंत्रका है। ___नवकार महामंत्र यह सागर ही नही महासागर है। कितनी ही डुबकियाँ लों, कितना ही अवगाहन करें, इसका आर-पार पाना बहुत ही कठिन है। इसकी गहराई को मापना असंभव है। नवकार मंत्र की गहराई समुचे श्रुतसागर की गहराई है। नवकार मंत्र को ‘महामंत्र' कहते है क्यों कि वह चौदह पूर्वो का सार है। विश्व की सारी शाब्दिक विशिष्टता, ज्ञानराशि चौदह पूर्वोमें समा जाती है। नमस्कार महामंत्र आत्मा का जागरण करता है। आध्यात्मयात्रा इससे संपन्न होती है।
। नवकार मंत्र कामनापूर्ति का मंत्र नही है। कामनापूर्ति के अनेक मंत्र होते है। जैसे - सरस्वती मंत्र, लक्ष्मी मंत्र, रोग-निवारण मंत्र, सर्पदंश मुक्ति मंत्र आदि। जिस प्रकार बीमारियोंके लिए औषधियों का निर्माण हुआ, वैसे ही रोग-निवारण के लिए मंत्रो की संरचना हुई। जितनी बिमारियाँ, उतनी ही औषधियाँ। जितने प्रकार के कामना के स्रोत है, उतने ही मंत्र है। नमस्कार महामंत्र कामनापूर्ति का मंत्र नहीं है, इच्छापूर्ति का मंत्र नहीं है किंतु यह वह मंत्र है जो कामनाको समाप्त कर सकता है, इच्छा को मिटा सकता है। दोनों में बहुत बड़ा अंतर है - एक मंत्र होता है, कामनापूर्ति करनेवाला और एक मंत्र होता है, कामना मिटाने वाला। दोनों में बहुत बड़ा अंतर है। कामनापूर्ति और इच्छापूर्ति का स्तर बहुत नीचे रह जाता है। जब मनुष्य की उर्ध्व चेतना जागृत होती है। तब उसे यह स्पष्ट हो जाता है कि सबसे बड़ी उपलब्धि वही है, जिससे कामना और इच्छा का अभाव हो सके। कामना की पूर्ति और कामना का अभाव - दो बातें हैं। दोनों में बहुत दूरी है।
_जब व्यक्तिमें अंतर की चेतना जाग जाती है तब वह कामनापूर्ति के पीछे नही दौड़ता, तब वह इच्छापूर्ति का प्रयत्न नहीं करता। वह उस बातके पीछे दौड़ता है, वह उस मंत्र की खोज करता है जो कामना को काट दें, उसके स्रोत को ही सुखा दें। उसे वह मंत्र चाहिए जो इच्छा का अभाव पैदा कर दें, इच्छा के स्रोत को नष्ट कर दें। नमस्कार ‘महामंत्र' इसलिए है कि - उससे
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