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दूसरे पद णमो सिद्धाणं में पाँच अक्षर हैं। उनमें चार लघु और एक गुरु है। सिद्धाणं पद में 'द्धा'अक्षर गुरु है।
तीसरे पद ‘णमो आयरियाणं' में सात अक्षर हैं। वे सातों ही लघु हैं।
चौथे पद ‘णमो उवज्झायाणं' में सात अक्षर हैं। उनमें छ: लघु है और एक गुरु हैं। उवज्झायाणं शब्द में 'ज्झा' अक्षर गुरु हैं।
पाँचवे पद ‘णमो लोए सव्व साहूणं' में नौ अक्षर हैं। 'सव्व साहूणं' में “व्व” अक्षर गुरु हैं। ___ नवकार मंत्र को पाँच पदों में पैंतीस अक्षर हैं। उनमें बत्तीस अक्षर लघु और तीन अक्षर गुरु है।
__ छठे पद चूलिका के पहले पद “ ऐसो पंच णमुक्कारो" में आठ अक्षर हैं। उनमें सात अक्षर लघु और एक अक्षर गुरु हैं णमुक्कारों में 'क्का' अक्षर गुरु है।
सातवें पद 'सव्व पाव पणासणों' में आठ अक्षर हैं। उनमें छ: अक्षर लघु हैं और दो गुरु हैं । “सव्वप्पाव पणासणों” में 'व्व' और 'प्प' अक्षर गुरु हैं।
आठवें पद ‘मंगलाणं च सव्वेसिं' में आठ अक्षर है। उनमें सात अक्षर लघु और एक अक्षर गुरु है। सव्वेसिं में 'व्वे' अक्षर गुरु हैं।
नौवें पद ‘पढ़म हवाइ मंगलं' में नौ अक्षर हैं। वे सभी लघु हैं।
इस प्रकार नवकार के चार चूलिका पदों में कुल ३३ अक्षर हैं। उनमें उनतीस अक्षर लघु हैं तथा चार अक्षर गुरु हैं।२३
कहा गया है - इस लोक में और परलोक में मनोवांछित फलप्रद तथा अनुपम, शक्ति स्वरुप नमस्कार मंत्र जयशील हो । त्रिभुवनपति - तीनों लोकों को धर्म का पथ दिखलाने वाले तीर्थकरों ने नवकार के पाँच पदों को पँच तीर्थ कहा है। जिनागमों के रहस्यमूल इसके ६८ अक्षरों को तीर्थ स्वरुप प्रतिपादित किया है। उसकी आठ संपदाओं को अनुपम अष्ठ महासिद्धियों के समान बतलाया है ।२४
नवकार मंत्र का आंतरिक स्वरुप
नवकार मंत्र का अर्थ, अभिप्राय उसका आंतरिक स्वरुप है। नवकार से भलीभाँति परिचित होने हेतु उसके प्रत्येक शब्द का अर्थ - ज्ञान आवश्यक है।
नवकार शब्द का अर्थ नमस्कार है। नमस्कार संस्कृत भाषा का शब्द है । प्राकृत भाषा
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