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क्या विज्ञान धर्म की कसौटी हो सकता है ?
क्या धार्मिक मान्यताओं को आधुनिक विज्ञान मान्यता देता है, क्या यह विज्ञान उन्हें कन्फर्म करता है, क्या उन्हें प्रयोगशालाओं में सिद्ध किया जा सकता है ? यदि हाँ तो ठीक है, पर यदि नहीं तो हम उन्हें कैसे स्वीकार करें ?
ऐसा प्रश्न उपस्थित होने पर अनायास ही हम इस ओर प्रेरित होने लगते हैं कि सचमुच धार्मिक मान्यताओं की विज्ञान द्वारा पुष्टि करवाए जाने के प्रयास किये जाने चाहिए। हम तत्क्षण सक्रिय भी होने लगते हैं
और तुरन्त ही कुछ ऐसे प्रमाण भी प्रस्तुत करने लगते हैं कि देखो धर्म कहता है कि पानी में अनंत जीव होते हैं, इसलिए पानी छान कर पीना चाहिए और आज वैज्ञानिक परीक्षणों ने भी साबित कर दिया है कि यह बात सही है। ऐसा कहकर हम इस तरह चारों ओर देखते हैं कि मानो हमने जग जीत लिया हो; पर तभी सामने वाला कहता है कि ठीक है, इसीलिए तो हमने यह बात स्वीकार कर ली है, बस इसी तरह अन्य सभी बातें भी आप विज्ञान के द्वारा साबित कर दीजिए, हम स्वीकार कर लेंगे, और एक बार फिर हम बगले झांकने लगते हैं।
यहाँ हमसे दो गलतियाँ हुई हैं।
पहली तो यह कि हमने जो पानी में पाए जाने वाले जीवों की बात की; वह व उस जैसी ही अन्य बातें न तो धर्म हैं और न धर्म के सिद्धान्त, वह तो उस आचरण की बात है, जो धार्मिक लोगों में पाया जाता है। इन बातों को धर्म मानकर, धर्म से जोड़कर; इनके आधार पर धर्म के संबंध में कोई भी धारणा बनाना उचित नहीं है।
धर्म तो वस्तु के उस स्वभाव का नाम, उन दार्शनिक मान्यताओं का नाम है, जिसकी विस्तृत व्याख्या आचार्यों ने धार्मिक ग्रन्थों में की है।
अतः जब-जब हम धर्म की बात करें, तब-तब हमें उन दार्शनिक - क्या विज्ञान धर्म की कसौटी हो सकता है ?/४3