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________________ रहना, जिस दिन मौत आयेगी तो वह आपकी फुरसत का इन्तजार नहीं करेगी कि आपको अभी मरने की फुरसत है या नहीं। वह तो अपना काम पूरा कर ही लेगी, आपके काम चाहे पूरे हुये हों या नहीं। __इसलिए मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि सचमुच यदि हम चाहते हैं कि हम अपने पीछे कोई काम, कोई जिम्मेदारी बाकी न छोड़ जावें व निर्भार होकर मरें, तो मौत तो हमारे निर्भार होने का इन्तजार करेगी नहीं और न ही हमें समय से पूर्व चेतावनी देकर ही आयेगी, इसलिए हम स्वयं ही सदा ही अपनी समस्त जिम्मेदारियों को पूर्ण कर अपने आपको प्रतिपल ही मृत्यु के लिए तैयार रखें; और मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूँ कि तब सचमुच ही हम मृत्यु के प्रति भयभीत नहीं रहेंगे। मैं जानता हूँ कि मेरा उक्त सुझाव आपको कतई स्वीकार नहीं होगा; क्योंकि हम सभी के व सारे जगत के विचार तो ठीक इसके विपरीत हैं। हम तो मानते हैं कि यदि जीवन में कुछ करने को नहीं रहेगा तो जीवन समाप्त ही हो जायेगा, शायद हम समय से पूर्व मर जावें। हम मानते हैं कि अगर करने को कुछ शेष नहीं रहा..तो जीवन 'मृतवत' हो जावेगा। पर बन्धुवर मैं एक बार फिर वही बात दोहराना चाहता हूँ कि मौत यूं ही फालतू नहीं है कि आपको फुरसत में देखकर आपके पास चली आयेगी और अपने आपको व्यस्त रखकर; समय आने पर मौत को धोखा भी नहीं दिया जा सकता है, तब क्यों न अपने आपको हर समय तैयार रखकर हम अपने आपको मौत के प्रति भय के शिकंजे से मुक्त करलें। - यूं तो मनुष्य इस सृष्टि का सबसे बुद्धिमान प्राणी है, और उसपर तुर्रा यह कि वर्तमान में हम एक ऐसे बुद्धिवादी युग में जी रहे हैं, जिसमें भावनाओं व संवेदनाओं को तो कोई स्थान ही प्राप्त नहीं है। मात्र बुद्धि ही हमें संचालित करती है, हमारे व्यवहार व जीवन को नियंत्रित करती है; तथापि ऐसे बहुत से विषय हैं, जिनपर हमारा सोच मात्र एक परम्परागत - क्या मृत्यु महोत्सव अभिशाप है ?/3९
SR No.002295
Book TitleKya Mrutyu Abhishap Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmatmaprakash Bharilla
PublisherPandit Todarmal Smarak Trust
Publication Year2015
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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