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________________ निर्वाह व्यावहारिक तौर पर सम्भव ही नहीं है। ___ यदि हम विस्तार में जायें तो इन विसंगतियों को रेखांकित करतेकरते उम्र बीत जावे; पर हम विषयान्तर नहीं होना चाहते, फिर भी एकाध उदाहरण की चर्चा असंगत नहीं होगी। मान लीजिए एक ८० वर्ष का वृद्ध व्यक्ति मरकर पड़ौसी के घर में जन्मा। इस स्थिति से पैदा होने वाली विसंगतियों की जरा कल्पना करें - कल तक वह ८० वर्ष का वृद्ध था, तदनुसार ही सम्मान पाता था। लोग उसे दादाजी, पिताजी, दाऊजी, बाबूजी, सेठ साहब आदि नामों से पुकारा करते थे; अब मैं पूंछना चाहता हूँ कि उसे किसप्रकार के संबोधन से पुकारा जाये, उसके साथ किसप्रकार का व्यवहार किया जाये, वृद्धवत या बालकवत ? उसे अपने लिए कौन सा व कैसा नाम पसंद आएगा ? वही ८० साल पुराना पूर्व जन्म का नाम 'छदामीलाल' या आज का आधुनिक नाम 'किन्जल'। वह किसप्रकार के कपड़े पहिने - वही धोतीकुर्ता और पगड़ी या फिर आधुनिक जींस। ___ कल का पीएच.डी. डिग्री धारी आज स्कूल जाये या न जाये। बच्चों के साथ घर-घर का खेल खेले या न खेले; अब वह टॉफी, चॉकलेट खाना पसंद करेगा या डाबर का च्वयनप्राश और हवाबाण हरड़े ? __ अब उसकी पूर्व जन्म की बहुये उसके समक्ष मर्यादापूर्वक पर्दा करें या गोद में लेकर खिलायें ? ___ इसप्रकार क्या-क्या विसंगतियाँ पैदा होंगी ? उनकी कल्पना सहज ही की जा सकती है। उसका कुल गोत्र क्या होगा, पुराने जन्म की सम्पत्ति पर उसका अधिकार होगा या नहीं, क्या वह अपने पूर्व जन्म के परिवार की किसी कन्या से विवाह कर सकता है? उसके पूर्व जन्म के मित्रों व शत्रुओं के प्रति उसका व्यवहार क्या हो ? ____अरे बात सिर्फ इसकी ओर से ही तो नहीं हो सकती है न। यदि पूर्व जन्म में कोई कर्जा लिया था व चुका नहीं पाया था; अब यदि वह पैसा - क्या मृत्यु महोत्सव अभिशाप है ?/3६
SR No.002295
Book TitleKya Mrutyu Abhishap Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmatmaprakash Bharilla
PublisherPandit Todarmal Smarak Trust
Publication Year2015
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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