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(Effected) होनेवालों की श्रेणी में नहीं आते हैं, तब भी। और फिर व्यापार के उतार-चढ़ाव, अपने व सम्बन्धियों के स्वास्थ्य में उठावगिराव, अपने जीवन में होनेवाली, चोरी, डकैती, हिंसा, हत्या की घटनायें, व्यापार की लाभ-हानि, सरकारी कानूनों की समस्यायें, समाज में व्याप्त शोषण व भ्रष्टाचार, अन्याय, अनिष्ट संयोग आदि निरन्तर हमें परेशान नहीं किए रहते हैं ? __क्या हमारे बहुत बड़े सामाजिक सम्पर्क में, या कि विस्तृत सम्बन्धी परिकर में, या स्वयं अपने विशाल परिवार में ही सदा ही जन्म-मरण जैसी घटनायें घटित नहीं होती रहती हैं ? पर जीवन भर, जीवन में आते रहनेवाले झंझावातों के बीच अब ये घटनायें, इन जैसी अनेकों घटनाओं
जैसी ही, अनेकों में से एक घटना मात्र बनकर नहीं रह गई हैं ? ____अरे ! उन जैसी भी कहाँ ? जब अनेकों ज्वलंत समस्यायें जीवंत मुँह बाये खड़ी हों, तब इस एक मरी हुई घटना पर ध्यान भी देने का अवकाश भी किसके पास रहता है? ___एक दुर्घटना में घर-परिवार के ही एक दो सदस्यों की मृत्यु हो गई हो व कुछ अन्य मृत्यु से संघर्ष कर रहे हों, तब कोई मरे हुए को रोये या बचे हुओं को सम्भाले ? यह तो अत्यन्त निकट बन्धु-बान्धवों का हाल है, मित्रों की तो बात ही क्या; उन्हें तो और भी बहुत कुछ है करने को। किसी को श्मशान से ही सीधे किसी की वर्थडे पार्टी में जाना है और उसके बाद किसी की शादी में; क्योंकि सामाजिक जीवन में इन सभी का महत्त्व भी तो कुछ कम नहीं है; सभी व्यवहार तो निभाने पड़ते हैं, और फिर किसी की शादी भी तो कोई रोज-रोज नहीं होती है न। ___ आप कह सकते हैं कि 'आप तो दूर के लोगों की बात कर रहे हैं, पर सर्वाधिक प्रभावित तो भाई-बन्धु, माता-पिता व पत्नी-बच्चे होते हैं,
और हमें तो उनकी चिन्ता है, उन बेचारों का हमारे बिना क्या हाल होगा, वे तो हमारे बिना रह ही न सकेंगे।'
- क्या मृत्यु महोत्सव अभिशाप है ?/२५