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________________ हम यकायक सक्रिय हो जाते हैं। हमें आशा की एक क्षीण सी ही सही, किरण दिखाई देने लगती है। हाँ, मैं कहता हूँ कि हम अपने अगले जीवन का चुनाव भी कर सकते हैं व जान भी सकते हैं। जगत में चुनाव की भिन्न-भिन्न पद्धतियाँ होती हैं। यह पद्धति भी कुछ अलग ही तरह की है। इसीप्रकार देखने-जानने के तरीके भी भिन्नभिन्न होते हैं। कुछ चीजों को सीधे-सीधे जाना जा सकता है व कुछ को अनुभव के आधार पर अनुमान से। कुछ दृश्य अत्यन्त स्पष्ट होते हैं व उन्हें हर कोई पड़ सकता है, पर कुछ दृश्यों को पढने के लिए अनुभव की आँखें चाहिए। सामान्य फोटोग्राफ को तो कोई भी स्पष्ट देख समझ सकता है, पर एक्सरे फोटोग्राफ को देखने, समझने व जानने के लिए, उसमें से निष्कर्ष निकालने के लिए एक गहरे अनुभव की आवश्यकता होती है। __ हाँ ! हम अपना अगला जीवन अनुमान ज्ञान के आधार पर जान भी सकते हैं और सुनिश्चित भी कर सकते हैं। ___ जगत के सभी प्रमुख दर्शन मानते हैं कि यह जीव स्वयं जिसप्रकार के कर्म करता है, तदनुसार फल प्राप्त करता है। - कर्तावादी दर्शन मानते हैं कि कोई ईश्वरीय शक्ति इन सब क्रियाकलापों का नियंत्रण करती है व जीव के द्वारा किए गए कर्मों के अनुसार उसकी नियति का निर्धारण करती है व अकर्तावादी दर्शनों के अनुसार यह एक स्वचालित प्रक्रिया है, तथापि यह निर्विवाद मान्यता है कि अपने-अपने कर्मों का फल सभी जीव भोगते हैं। __उक्त तथ्य को स्वीकार करते ही हम अनिश्चित कहाँ रहते हैं, परवश कहाँ रहते हैं, अनाथ कहाँ रहते हैं ? इस तथ्य को स्वीकार करते ही हम स्वयं अपने भविष्य के एक सक्षम नियंता के रूप में स्थापित हो जाते हैं, सिर्फ अगले जनम के लिए ही नहीं; आगामी अनंतकाल तक - क्या मृत्यु महोत्सव अभिशाप है ?/११
SR No.002295
Book TitleKya Mrutyu Abhishap Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmatmaprakash Bharilla
PublisherPandit Todarmal Smarak Trust
Publication Year2015
Total Pages64
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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