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________________ है। इसके सिवाय कालकाचार्य से लगाकर हरिभद्रसूरि तक के प्रमुख आचार्यो का जीवन चरित यहाँ वर्णित है। इसकी हस्तलिखित प्रति पाटण के भंडार में हैं। इस ग्रन्थ में तिरेसठ महापुरुषों का चरित्र वर्णित है। इसकी रचना प्राकृत गद्य में की गई है पर यत्र-तत्र पद्य भी पाये जाते हैं । ग्रन्थ में किसी प्रकार के अध्यायों का विभाग नहीं । कथाओं के आरम्भ में 'रामकहा भण्णइ', 'वाणरकहा भण्णइ' आदि रूप से निर्देश मात्र कर दिया गया है। यह कृति पश्चात् कालीन त्रिशष्टिशलाकापुरुषमहाचरित (हेमचन्द्र) आदि रचनाओं का आधार है। इसके ऐतिहासिक भाग 'थेरावलीचरियं' की सामग्री का हेमचन्द्र ने 'परिशिष्टपर्व' अपरनाम 'स्थविरावलीचरित' में उपयोग किया है। इसमें रामायण की कथा विमलसूरिकृत ‘पउमचरियं' का अनुसरण करती है। 83. कार्तिकेयानुप्रेक्षा : (स्वामी कार्तिकेय) स्वामी कार्तिकेय अथवा कुमार के द्वारा रचित अनुप्रेक्षा ग्रन्थ को कार्तिकेयानुप्रेक्षा नाम से जाना जाता है। इस ग्रन्थ में कुल 489 प्राकृत गाथाएँ हैं जिनमें अध्रुव, अशरण, संसार, एकत्व, अन्यत्व, अशुचित्व, आश्रव, संवर, निर्जरा, लोक, बोधिदुर्लभ और धर्म इन बारह अनुप्रेक्षाओं का वर्णन विस्तार से किया गया है। इस ग्रन्थ के रचयिता कार्तिकेय के सबंध में विद्वानों ने पर्याप्त शोध की है। इन्हें उमास्वामी का समकालीन विद्वान माना जाता है। बारह अनुप्रेक्षाओं की जो कुन्दकुन्द, बट्टकेर, और शिवार्य की परम्परा है, उससे भिन्न उमा-स्वामी की अनुप्रेक्षाओं की परम्परा को कार्तिकेय ने अपने इस ग्रन्थ में अपनाया है। कार्तिकेयानुप्रेक्षा के रचयिता, स्वामी कार्तिकेय हैं। इनके समय को लेकर विद्वान एक मत नहीं हैं। डॉ. ए. एन. उपाध्ये ने इनका समय छठी शताब्दी माना है। इस ग्रन्थ में 489 गाथाएँ हैं, जिनमें चंचल मन एवं विषय-वासनाओं के विरोध के लिए बारह अनुप्रेक्षाओं का विस्तार से निरूपण हुआ है। प्रसंगवश इसमें जीव, अजीव आदि सात तत्त्व, द्वादशव्रत, दान, संलेखना, दशधर्म, सम्यक्त्व के आठ अंग, बारह प्रकार के तप, ध्यान के भेद-प्रभेद आदि का विवेचन हुआ है। इस ग्रन्थ की गाथाओं की अभिव्यंजना बड़ी सशक्त है। 600 प्राकृत रत्नाकर
SR No.002287
Book TitlePrakrit Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRashtriya Prakrit Adhyayan evam Sanshodhan Samsthan
Publication Year2012
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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