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________________ ग्रामेटिक्स डे प्राकृत स नामक जर्मन ग्रन्थ प्राकृत भाषाओं का व्याकरण नाम से हिन्दी भाषा में अनुवादित हुआ है। इसके हिन्दी अनुवादक डॉ. हेमचन्द्र जोशी हैं। डॉ. पिशल का यह ग्रन्थ प्राकृत भाषा के अध्ययन हेतु अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इस ग्रन्थ में प्राकृत का कोई व्याकरणकार नहीं छूटा है। सभी व्याकरण-ग्रन्थों के नियम इसमें शृंखला-बद्ध रूप से दिये गये हैं। वस्तुतः डॉ. पिशल ने अपने समय तक के उपलब्ध सभी व्याकरण और सारे प्राप्य साहित्य को मथकर यह व्याकरण तैयार किया है और प्राकृत व्याकरण के अधिकांश नियम पक्के कर दिये हैं। 271. प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास प्राकृत भाषा, व्याकरण और साहित्य को जानने के लिए यह पुस्तकप्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास, महत्त्वपूर्ण साधन है। डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री ने इस शोध ग्रन्थ में सभी प्रकार की प्राकृत भाषाओं का सोहाहरण विवेचन किया है। प्राकृत आगम ग्रन्थों का परिचय देकर काव्यों और मुक्तककाव्य ग्रन्थों का सोदाहरण मूल्यांकन इस ग्रन्थ की विशेषता है। प्राकृत के चरित साहित्य की समीक्षा इस इतिहास ग्रन्थ में उपलब्ध है। प्राकृत के सट्टक ग्रन्थों का मूल्यांकन कर डॉ. शास्त्री ने इस पुस्तक में प्राकृत के कथासाहित्य के ग्रन्थों का विवेचन प्रस्तुत किया है। ग्रन्थ के अन्त में प्राकृत व्याकरण ग्रन्थों और छन्द अलंकार ग्रन्थों का प्रामाणिक परिचय दिया गया है। सांस्कृतिक दृष्टि से प्राकृत ग्रन्थों के महत्त्व को भी डॉ. शास्त्री ने रेखांकित किया है। यह ग्रन्थ 1966 में बनारस से ताराबुक एजेंसी से प्रकाशित हुआ था। 1988 में इसका द्वितीय संस्करण भी प्रकाशित हुआ। प्राकृत के विद्यार्थियों, विद्वानों एवं सम्पादकों के लिए यह ग्रन्थ महत्त्वपूर्ण साधन है। इस महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ के अंग्रेजी अनुवाद की नितान्त आवश्यकता अनुभव की जा रही है। 272. प्राकृत भाषा के तीन युग प्राकृत भाषा के प्रयोग में एकरूपता नहीं है। विभिन्न विभाषाओं के बीज क्रमशः उसमें सम्मिलित होते रहे हैं। प्राकृत भाषा के स्वरूप की दृष्टि से दो भेद किए जा सकते हैं- (1) कथ्य प्राकृत और (2) साहित्य की प्राकृत। प्राकृत प्राकृत रत्नाकर 0 225
SR No.002287
Book TitlePrakrit Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRashtriya Prakrit Adhyayan evam Sanshodhan Samsthan
Publication Year2012
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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