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छइल्लो
कोयला
कक्कडी ककडी
छेला कहारो कहार
छल्लि छाल कोइला
झमाल झमेला कुहाड कुहाडा
झाड झाड़ खट्टीक खटीक
झंझडिया झंझट हिन्दी भाषा में प्राकृत शब्द ही नहीं ग्रहण किये गये हैं, अपितु बहुत सी .. हिन्दी की क्रियाएँ भी प्राकृत की हैं। तुलनात्मक दृष्टि से कुछ क्रियाएँ द्रष्टव्य हैं।
प्राकृत
देखना
बुझना
कुट्ट
पिट्ट
भिडइ
हिन्दी
प्राकृत
हिन्दी उड्डु उडना
झिल्लिअ झेलना कड्ड काढना
देक्ख कुद कूदना
बुज्झ कूटना
पीटना खेल्ल खेलना
भिडना खुद खोदना
बोल्ल बोलना शब्द और धातुओं के अतिरिक्त प्राकृत की अन्य प्रवृत्तियाँ भी हिन्दी में परिलक्षित होती हैं। द्विवचन का प्रयोग नहीं होता, संयुक्त व्यंजनों में सरलीकरण है। विभक्तियों का अदर्शन तथा परसर्गों का प्रयोग प्राकृत अपभ्रंश के प्रभाव से हिन्दी में होने लग गया है। किसी भी जनभाषा के लिए इन प्रवृत्तियों से गुजरना स्वाभाविक है। वही हिन्दी भाषा जन-जन तक पहुँच सकती है, जो सुगम और सुबोध हो। ___ इस प्रकार प्राकृत विभिन्न कालों और क्षेत्रों की भारतीय भाषाओं को निरन्तर प्रभावित करती रही है। आधुनिक भारतीय भाषाओं की संरचना और शब्द तथा धातुरूपों पर भी प्राकृत का स्पष्ट प्रभाव है। यह उसकी सरलता और जन भाषा होने का प्रमाण है। न केवल भारतीय भाषाओं के विकास में अपितु इन भाषाओं के साहित्य की विभिन्न विधाओं को भी प्राकृत अपभ्रंश भाषाओं के साहित्य ने पुष्ट किया है। यह इस बात का प्रतीक है कि राष्ट्रीय एकता के निर्माण
प्राकृत रत्नाकर 0 217