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थन
सखी सही सही
लघुक लहुक हालु (11) संयुक्त व्यन्जनों का सरलीकरण
ग्राम गाम गा ध्वनि धणि धई स्थान ठाण ठा
स्तन थण उड़िया की क्रियाओं में प्राकृत से थोड़ा अन्तर है। किन्तु उनका विकास अपभ्रंश के माध्यम से हुआ है। क्रियाओं एक वचन बहुवचन से ही सम्बन्धित है।
इस प्रकार उड़िया भाषा व्याकरण और ध्वनि तत्त्वों की दृष्टि से प्राकृत अपभ्रंश के अधिक नजदीक हैं। बंगला और असमिया आदि भाषायें भी मध्ययुगीन आर्य भाषाओं से पर्याप्त प्रभावित हैं। 258. प्राकृत और हिन्दी
आधुनिक भारतीय आय-भाषाओं में हिन्दी का प्रमुख स्थान है। देश के अधिकांश लोगों द्वारा यह बोली जाती है। राष्ट्रभाषा होने का गौरव इसे प्राप्त है। देश के विभिन्न भागों और भाषाओं की सम्पर्क भाषा होने के कारण हिन्दी में विभिन्न भाषाओं के शब्द भी सम्मिलित हो गये हैं। संस्कृत के शब्द भी इसमें ग्रहीत किये गये हैं, किन्तु हिन्दी में प्राकृत अपभ्रंश जैसी लोक-भाषाओं के शब्द भी कम नहीं हैं। यदि इन शब्दों की जानकारी हो तो हिन्दी के हरेक शब्द की व्युत्पत्ति के लिए संस्कृत पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। हेमचन्द्र की देशीनाममाला तथा प्राकृत अपभ्रंश के अन्य ग्रन्थों के वे कुछ शब्द यहाँ उद्धृत हैं जो हिन्दी में सीधे ग्रहण कर लिये गये हैं तथा उनके अर्थ में भी कोई परिवर्तन नहीं आया है। प्राकृत हिन्दी
प्राकृत हिन्दी अक्खाड अखाडा
चिडिया अरहट्ठ रहट
चारो चारा उक्खल ओखली
चुल्लि चुल्हा उल्लुटं उलटा
चोक्ख चोखा 2160 प्राकृत रत्नाकर
चिडिय