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________________ का इसमें सबल चित्रण है । ग्रन्थ में पुनर्जन्म और कर्मसिद्धान्त का समर्थन सर्वत्र मुखरित हो रहा है। इसमें दस अध्ययन है। इस उपांग ग्रन्थ के तीसरे अध्ययन में सोमिल ब्राह्मण की कथा है। इस ब्राह्मण की तपस्या का वर्णन विस्तारपूर्वक किया गया है। चतुर्थ अध्ययन में एक बहुत ही सरस और मनोरंजन कथा है। सुभद्रा सन्तान न होने के कारण संसार से विरक्त हो जाती है और सुव्रता आर्यिका के पास दीक्षा ग्रहण करती है। दीक्षित हो जाने पर भी वह बच्चों से बहुत स्नेह करती है, उन्हें खिलाती- पिलाती है और उनका श्रृंगार करती है। प्रधान आर्यिका के द्वारा समझाये जाने पर भी उसकी ममता बच्चों से कम नहीं होती । फलतः इस राग भावना के कारण वह अगले भव में एक ब्राह्मणी होती है और सन्तान से उसका घर भर जाता है । इस उपांग अर्धमागधी ग्रन्थ में भी ऐसे व्यक्तियों की कथाएँ हैं, जिन्होंने धार्मिक साधना द्वारा स्वर्गलाभ एवं दिव्य सम्पदायें प्राप्त की हैं। इसमें दस अध्ययन हैं, जिनके नाम श्री, ही, धृति आदि हैं। कथा साहित्य की दृष्टि से इसका रूप गठन पुष्पिका उपांग ग्रन्थ के समान ही है । साहित्यिक छटा पंचम अध्ययन में दिखलायी पड़ती है । स्वर्ग के देव अपने अतुल वैभव के साथ भगवान महावीर की वन्दना के लिए आते हैं। 231. पुहवीचंदचरियं यह प्राकृत भाषा में 7500 गाथाओं में निबद्ध विशाल ग्रंथ है, जो अनेक अवान्तर कथाओं से भरा हुआ है। इसकी रचना बृहद्गच्छीय सर्वदेवसूरि के प्रशिष्य एवं नेमिचन्द्र के शिष्य सत्याचार्य ने महावीर सं. 1631 अर्थात् वि.सं. 1161 में की थी। इसकी हस्तलिखित प्रतियाँ मिलती हैं । ग्रन्थ अप्रकाशित है। 232. पुष्पदंत एवं भूतबलि आचार्य धरसेन के पास शिक्षा प्राप्त करने के लिए आन्ध्रदेश से जो दो व्युत्पन्न विद्वान् आये थे, इतिहास में उनके नाम पुष्पदन्त और भूतबलि प्राप्त होते हैं। किन्तु कथानक के अनुसार ये नाम उनके गुरु धरसेनाचार्य ने उनकी परीक्षा लेने के बाद दिये थे अतः इन दोनों शिष्यों के मूल नामों का उल्लेख नहीं मिलता। शिक्षा प्राप्ति के बाद ये मुनि पुनः दक्षिण भारत की ओर गये थे और वहीं पर 176 प्राकृत रत्नाकर
SR No.002287
Book TitlePrakrit Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRashtriya Prakrit Adhyayan evam Sanshodhan Samsthan
Publication Year2012
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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