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________________ योगीन्द्र लिखा है। वर्तमान में इनकी दो रचनाएँ उपलब्ध हैं- परमात्मप्रकाश और योगसार।डॉ. ए.एन. उपाध्ये ने जोइन्दु का समय ईसा की छठी शताब्दी माना है। 145.जोइससार-ज्योतिषसार __ इस ग्रन्थ के कर्ता का नाम अज्ञात है। ग्रन्थ के अन्त में लिखा है कि प्रथम प्रकीर्ण समाप्तं इससे मालूम होता है कि यह ग्रन्थ अधूरा है। इसमें 287 गाथायें हैं, जिनमें शुभाशुभ तिथि, ग्रह की सबलता, शुभ घड़याँ, दिनशुद्धि, स्वरज्ञान, दिशाशूल, शुभाशुभयोग व्रत आदि ग्रहण करने का मुहूर्त, क्षौरकर्म का समय आदि वर्णित है। 146.जोईसहीर(ज्योतिषहीर) ___ जोइसहीर नामक प्राकृत भाषा के ग्रंथ-कर्ता का नाम ज्ञात नहीं हुआ है। इसमें 287 गाथाएँ हैं। ग्रन्थ के अन्त में लिखा है कि प्रथम प्रकीर्णे समाप्तम्। इससे मालूम होता है कि यह ग्रन्थ अधूरा है। इसमें शुभाशुभ तिथि, ग्रह की सबलता, शुभ घड़ियाँ, दिनशुद्धि, स्वरज्ञान, दिशाशूल, शुभाशुभ योग, व्रत आदि ग्रहण करने का मुहूर्त, क्षौरकर्म का मुहूर्त और ग्रह-फल आदि का वर्णन है। 147.ज्योतिषसार ___ ज्योतिष का यह ग्रंथ ठक्कर फेरु द्वारा पूर्व शास्त्रों को देखकर 238 गाथाओं में लिखा गया है। विशेषकर हरिभद्र, नरचंद्र, पद्मप्रभसूरि, जउण, वराह, लल्ल, पराशर गर्ग आदि के ग्रंथों का अवलोकन कर इसकी रचना की गई है। इसके चार द्वार हैं । दिनशुद्धि नामक द्वार में 42 गाथाएँ हैं जिनमें वार, तिथि और नक्षत्रों में सिद्धियोग का प्रतिपादन है। व्यवहारद्वार में 60 गाथायें हैं । इनमें ग्रहों की राशि, स्थिति, उदय, अस्त और वक्र दिन की संख्या का वर्णन है। गणितद्वार में 38 और लगद्वार में 18 गाथायें हैं। ठक्कर फेरू ने इस ग्रंथ में लिखा है कि हरिभद्र, नरचंद्र, पद्यप्रभसूरि, जउण, वराह, लल्ल, पराशर, गर्ग आदि ग्रंथकारों के ग्रंथों का अवलोकन करके इसकी रचना (वि.सं.1372-75 के आसपास) की है। चार द्वारों में विभक्त इस ग्रंथ में कुल मिलाकर 238 गाथाएँ हैं। दिन शुद्धि नामक द्वार में 42 गाथाएँ हैं, जिनमें वार, तिथि और नक्षत्रों में सिद्धि योग का प्रतिपादन है। व्यवहारद्वार में 60 गाथाएँ 1200 प्राकृत रत्नाकर
SR No.002287
Book TitlePrakrit Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRashtriya Prakrit Adhyayan evam Sanshodhan Samsthan
Publication Year2012
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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