SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 72
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 61 श्राद्धविधि प्रकरणम् चार-चार भेद से श्रावक : शंकाः आगम में अन्य प्रकार से श्रावक के भेद सुनने में आते हैं। श्री ठाणांगसूत्र में कहा है कि श्रमणोपासक चार प्रकार के होते हैं, यथा-१ माता-पिता समान, २ बंधु समान, ३ मित्र समान और ४ सपत्नी (सौत) समान। (अथवा अन्य रीति से) १ आरिसा (दर्पण) समान, २ ध्वजा समान, ३ स्तंभ (खंभा) समान और ४ खरंटक (विष्ठादिक) समान। समाधान : ऊपर कहे हुए भेद श्रावक का साधु के साथ जो व्यवहार है उसके आश्रित शंका: ऊपर के भेद आपके कहे हुए भेद में से किस भेद में सम्मिलित होते हैं? समाधान : व्यवहारनय के मत से ये भावश्रावक ही हैं, क्योंकि वैसा ही व्यवहार है। निश्चयनय के मत से सपत्नी समान और खरंटक समान ये दो प्रायः मिथ्यादृष्टि समान द्रव्यश्रावक और शेष सब भाव श्रावक हैं। कहा है कि चिंतइ जईकज्जाई, न दिट्ठखलिओवि होइ निन्नेहो। ... ... ... एगंतवच्छलो जइजणस्स जणणीसमो सनो ॥१॥ हिअए ससिणेहो च्चिअ, मुणीण मंदायरो विणयकम्मे। भायसमो साहूणं, पराभवे होइ सुसहाओ ।।२।। मित्तसमाणो माणा ईसिं रूसइ अपुच्छिओ कज्जे। मन्नतो अप्पाणं, मुणीण सयणाउ अब्महि ॥३।। थद्धो छिद्दप्पेही, पमायखलिआणि निच्चमुच्चरइ। सडो सवत्तिकप्पो साहुजणं तणसमं गणइ ।।४।। द्वितीयचतुष्के—गुरुभणिओ सुत्तत्थो, बिंबिज्जइ अवितहो मणे जस्स। सो आयंससमाणो, सुसावओ वन्निओ समए ।।१।। पवणेण पडागा इव, भामिज्जइ जो जणेण मूढेण। अविणिच्छियगुरुवयणो, सो होइ पडाइआतुल्लो ।।२।। पडिवन्नमसग्गाहं, न मुअइ गीअत्थसमणुसिट्ठो वि। थाणुसमाणो एसो, अपओसी मुणिजणे नवरं ।।३।। उम्मग्गदेसओ निन्हवोसि मूढोसि मंदधम्मोसि। इअ संमंपि कहतं खरंटए सो खरंटसमो ।।४।। जह सिढिलमसुइदव्वं, छुप्पंतं पिहु नरं खरंटेइ। एवमणुसासगं पिहु दूसंतो भन्नइ खरंटो ।।५।। निच्छयओ मिच्छत्ती, खरंटतुल्लो सवत्तितुल्लो वि। .. ववहारओ उ सडा, वयंति जं जिणगिहाईसु ॥६॥ साधु के जो कुछ कार्य हों उनका मन में विचार करे, यदि साधु का कोई प्रमाद
SR No.002285
Book TitleShraddhvidhi Prakaranam Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherJayanandvijay
Publication Year2005
Total Pages400
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy