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________________ अर्थः श्राद्धविधि प्रकरणम् 243 अर्थः पुरुष को अपना कुछ अपराध होने पर धर्माचार्य शिक्षा दे, तब 'आपका कथन योग्य है' ऐसा कह सर्व मान्य करना। कदाचित् धर्माचार्य का कोई दोष दृष्टि में आये तो उन्हें एकान्त में कहना कि, 'महाराज! आपके समान चारित्रवन्त को क्या यह बात उचित है?' कुणइ विणओवयारं, भत्तीए समयसमुचिअंसव्वं। गाढं गुणाणुरायं, निम्मायं वहइ हिअयंमि ।।३३।। अर्थ : शिष्य को संमुख आना, गुरु के आने पर उठना, आसन देना, पगचंपी करना, तथा शुद्ध वस्त्र-पात्र-आहारादि का दान आदि समयोचित समस्त विनय सम्बन्धी उपचार भक्तिपूर्वक करना और अपने हृदय में धर्माचार्य पर दृढ़ तथा कपटरहित अनुराग धारण करना। मावोवयारमेसि, देसंतरिओवि सुमरइ सयावि। इअ एवमाइगुरुजणसमुचिअमुचिअं मुणेयव्वं ।।३४॥ पुरुष विदेश में हो तो भी धर्माचार्य के किये हुए सम्यक्त्व दान आदि उपकार को निरन्तर स्मरण करना। इत्यादि धर्माचार्य के सम्बन्ध में उचित आचरण है। जत्थ सयं निवसिज्जइ, नयरे तत्थेव जे किर वसंति। ससमाणवत्तिणो ते, नायरया नाम वुच्चंति ।।३५।।। अर्थः पुरुष जिस नगर में रहता हो, उसी नगर में वणिग्वृत्ति से आजीविका करनेवाले जो अन्य लोग रहते हैं वे नागर कहलाते हैं। समुचिअमिणमेतेसिं, जमेगचित्तेहिं समसुहदुहेहि। वसणूसवतुल्लगमागमेहिं निच्चपि होअव्वं ॥३६।। अर्थः नगर के लोगों के सम्बन्ध में उचित आचरण इस प्रकार है-पुरुष को उन पर (नगर के लोगों पर) दुःख आने पर स्वयं दुःखी होना, तथा सुख में स्वयं सुखी होना। वैसे ही वे संकट में हो तो स्वयं भी आपत्ति ग्रसित की तरह बर्ताव करना तथा वे उत्सव में हों तो स्वयं भी उत्सव में रहना। इसके विरुद्ध यदि एक ही नगर के निवासी समव्यवसायी लोग जो कुसंप में रहें तो राज्याधिकारी लोग उनको इस तरह संकटजाल में फंसाते हैं, जिस तरह कि पारधी मृगों को। कायव्वं कज्जेऽवि हु, न इक्कमिक्केण दंसणं पहुणो। कज्जो न मंतभेओ, पेसुन्नं परिहरेअव्वं ।।३७।। अर्थः बड़ा कार्य हो तो भी अपना बड़प्पन बढ़ाने के लिए समस्त नागरों को राजा की भेंट लेने के लिए पृथक्-पृथक् न जाना। किसी कार्य की गुप्त सलाह की हो तो उसे प्रकटं न करना तथा किसीको किसीकी चुगली न करना। एक
SR No.002285
Book TitleShraddhvidhi Prakaranam Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherJayanandvijay
Publication Year2005
Total Pages400
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size8 MB
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