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श्राद्धविधि प्रकरणम्
145 अथवा अधिक अक्षर बोलना, ज्ञानोपकरण पास होते हुए वायु संचार करना इत्यादिक जघन्य आशातना है। अध्ययन का समय न होने पर पढ़ना, योग और उपधान तपस्या बिना सूत्र का अध्ययन करना, भ्रांति (भ्रमणा) से अर्थ का अनर्थ करना, प्रमादवश पुस्तक आदि वस्तुको पैर आदि लगाना, पुस्तक आदि भूमि पर पटक देना, ज्ञानोपकरण पास होते हुए आहार अथवा लघुनीति करना, इत्यादिक मध्यम आशातना है। पाटली आदि के ऊपर के अक्षर थूक से घिसकर मिटा देना, ज्ञानोपकरण के ऊपर बैठना, सो रहना इत्यादि, ज्ञानोपकरण पास होते बड़ीनीति आदि करना, ज्ञान की अथवा ज्ञानी की निंदा, दुश्मनी, जलाना, नुकसान आदि करना, तथा उत्सूत्र भाषण करना, यह उत्कृष्ट आशातना है। जिनाशातना :
जिनप्रतिमा की तीन प्रकार की आशातना इस प्रकार है-वालाकुंची इत्यादि पछाड़ना, जिन प्रतिमा को अपने निश्वासका स्पर्श कराना, अपने वस्त्र जिन-प्रतिमा को अड़ाना इत्यादिक जघन्य आशातना है। बिना धोये हुए धोतिये से जिनप्रतिमा की पूजा करना, जिनबिंब को भूमि पर डालना इत्यादिक मध्यम आशातना है। पग लगाना, जिनप्रतिमा को नाक का मल अथवा थुक आदि लगाना, प्रतिमा का भंग करना, प्रतिमा को उठा ले जाना तथा जिनेश्वर भगवान् की बड़ी आशातना करना इत्यादि उत्कृष्ट आशातना है, अथवा जिन-प्रतिमा की जघन्य से आशातना १०, मध्यम से ४० और उत्कृष्ट से चौरासी हैं। यथा
जिनमंदिर के अन्दर १ पान-सुपारी खाना, २ पानी आदि पीना, ३ भोजन करना, ४ जूते पहनना, ५ रतिक्रीड़ा करना, ६ निद्रा लेना, ७ थूक आदि डालना, ८ लघुनीति करना, ९ बडीनीति करना, तथा १० जुआं खेलना। इस प्रकार जिनमंदिर में जघन्य से १० आशातनाओं का तो अवश्य त्याग करना चाहिए।
जिनमंदिर में १ लघुनीति करना, २ बड़ीनीति करना, ३ जूते पहिनकर जाना, ४ पानी आदि पीना, ५ भोजन करना, ६ निद्रा लेना, ७ रतिक्रीड़ा करना, ८ पान-सुपारी खाना, ९ थूक आदि डालना, १० जुआं खेलना, ११ द्युतक्रीड़ा देखना, १२ विकथा करना, १३ पालखी मारकर बैठना, १४ चौड़े पग करके बैठना, १५ परस्पर विवाद करना, १६ हंसी करना, १७ ईर्ष्या करना, १८ बैठने के लिए सिंहासनादि उपभोग योग्य वस्तु काम में लेना, १९ केश व शरीर की आभूषणादि से शोभा करना[मंदिर में केश संवारनेवाले आशातना करते हैं), २० छत्र धारण करना, २१ खड्ग धारण करना, २२ मुकुट धारण करना, २३ चामर धारण करना, २४ धरना देकर बैठना, २५ स्त्रियों के साथ विकार सहित हास्य करना, २६ जार पुरुषों के साथ प्रसंग करना, २७ पूजा के समय मुखकोश न करना, २८ पूजा के अवसर पर शरीर तथा वस्त्र मलिन रखना, २९ पूजा के समय मन की एकाग्रता न करना, ३० सचित्त द्रव्य का बाहर त्याग न करना, ३१ हार, मुद्रिका आदि अचित्त वस्तु का त्याग करना, ३२ एक साड़ी उत्तरासंग न करना, ३३