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________________ 2 श्राद्धविधि प्रकरणम् प्रथम प्रकाश मूलगाथा - १ सिरिवीरजिणं पणमिअसुआउ साहेमि किमवि सङ्कविहिं। रायगिहे जगगुरुणा, जह भणियं अभयपुढेणं ॥१॥ भावार्थ : केवलज्ञान, अशोकवृक्षादि आठ प्रातिहार्य, वाणी के पैंतीस गुण इत्यादि ऐश्वर्य से सुशोभित श्रीवीरजिनेश्वर को मन, वचन, काया से भावपूर्ण वन्दनाकर, राजगृही-नगरी में अभयकुमार के पूछने पर श्रीवीरजिन भगवान् ने जिस प्रकार उपदेश किया था उसी प्रकार सिद्धान्त वचन तथा गुरु सम्प्रदाय का अनुसरणकर संक्षेप मात्र श्राद्धविधि (श्रावकों का आचार) कहता हूँ॥१॥ यहां श्री महावीर स्वामी को 'वीर जिन' इन नाम से संबोधन किया है, उसका कारण यह है कि, कर्मरूपी शत्रुओं का समूल नाश करना, पूर्ण तपस्या करना आदि कारणों से वीर कहलाता है,कहा है कि-रागादिक को जीतनेवाला 'जिन' कहलाता है। कर्मका नाश करता है तथा तपस्या करता है, उसी हेतु से वीर्य व तपस्या से सुशोभित भगवान् वीर कहलाते हैं। इसी प्रकार शास्त्र में तीन प्रकार के वीर बतलाये हैं '१ दानवीर, २ युद्धवीर, ३ धर्मवीर' भगवान् में ये तीनों वीरत्व होने से उनको वीर कहा गया है, यथा वार्षिकदान के समय करोडों स्वर्णमुद्राओं के दान से जगत् में दारिद्र को मिथ्या करके १ मोहादिक के कुल में हुए व कितनेक गर्भ में (सत्ता में) रहे हुए दुरि कर्म रूपी शत्रुओं का नाश करके, २ तथा फल की इच्छा न रखते असाध्य ऐसी मोक्षदायक . तपस्या करके, ३ जो तीनों प्रकार की वीर-पदवी के धारक हुए अर्थात् अतिशय दान देने से दानवीर हुए, रागादिक शत्रुओं का समूल नाश करने से युद्धवीर हुए व कठिन तपस्या से धर्मवीर हुए ऐसे तीनों लोक के गुरु श्री महावीर की वीर संज्ञा यथार्थ है। यहां 'वीरजिन' इस पद से १ अपायापगमातिशय, २ ज्ञानातिशय, ३ पूजातिशय और ४ वचनातिशय ये चार अतिशय श्रीवीरभगवान के लिए सूचित कर दिये। ग्रन्थ के द्वार : मूलगाथा - २ दिण-रत्ति-पव्व-चउमासग-वच्छर-जम्मकिच्च-दाराई। सहाणणुग्गहट्ठा, सङ्कविहिए भणिज्जति ।।२।। भावार्थः १ दिवसकृत्य,२ रात्रिकृत्य, ३ पर्वकृत्य, ४ चातुर्मासिककृत्य, ५ वार्षिककृत्य, और ६ जन्मकृत्य; ये छः द्वार श्रावकजन के उपकारार्थ इस 'श्राद्धविधि' में कहे जायेंगे ॥२॥
SR No.002285
Book TitleShraddhvidhi Prakaranam Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherJayanandvijay
Publication Year2005
Total Pages400
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size8 MB
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