SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 43
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३२ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास प्रयुक्त शब्दों का साधुत्व उपपन्न नहीं होता। पाणिनि ने भी षपूर्वहन्धृतराज्ञामणि (अ० ६।४।१३५) सूत्र में नकारान्त 'घृतराजन्' शब्द का प्रयोग किया है।' वैज्ञानिक व्याख्या-इस व्याख्या के अनुसार उक्त सूत्र का अर्थ ५ होगा-राजन प्रहन और सखि शब्द जिसके अन्त में हों, ऐसे तत्पुरुष समास से 'टच' प्रत्यय होता है। अर्थात् टच् प्रत्यय करने पर अन् और इ भाग का लोप, अोर प्रत्यय के प्र के मेल से जो प्रकारान्त राज अह सख शब्द निष्पन्न होते हैं, उनसे निष्पन्न मद्रराज काशीराज महाराज द्वयह व्यह प्रादि समस्त शब्द हैं। दूसरे शब्दों में नकारान्त १. सदश अकारान्त जो राज और अह स्वतन्त्र प्रकृतियां हैं, उन्हीं से निष्पन्न मद्रराज और द्वयह आदि शब्द हैं। वैज्ञानिक व्याख्या का लाभ-इस व्याख्या का भारी लाभ यह है कि प्रकारान्त और नकारान्त भेद से दो स्वतन्त्र शब्दों की सता ज्ञात होने पर प्राचीन वाङमय में बहुधा प्रयुक्त नकारान्त समस्त १५ (काशीराजे आदि) शब्दों का साधुत्व तो अनायास प्रकट हो हो जाता है, साथ में विना समास के अकारान्त राज अह शब्दों का प्रयाग भी हो सकता है। प्राचीन ग्रन्थों में ऐसे कतिपय विरल प्रयोग सुरक्षित भी हैं। यथा अकारान्त राज शब्द - राजाय प्रयतेमहि (महा० आदि पर्व ६४। २० ४४॥ प्रकारान्त प्रह शब्द-तन्त्राख्यायिका २।१३६ में उद्धृत प्राचीन वचन है 'यस्मिन् वयसि यत्काले यदहे चायवा निशि ।' पाणिनि के नियमानुसार द्वयह व्यह प्रयोग तत्पुरुष समास में ही २५ होता है, परन्तु रामायण १।१४।४० के व्यहोऽश्वमेधः वचन में बहु १. संवत् १९३९ श्रावण वदी ४ को शाहपुराधीश को लिखे गये पत्र में स्वामी दयानन्द सरस्वती ने लिखा है-'श्रीयुत महाराजाधिराजभ्यो धीर. वीर .....'। ऋ० द० के पत्र और विज्ञापन, भाग २, पृष्ठ ५८० (त० सं०) । यहां समास होने पर भी नकारान्त राजन् शब्द का प्रयोग ३० किया है । समासान्त का प्रयोग नहीं किया।
SR No.002284
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages340
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy