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________________ पाणिनीय व्याकरण की वैज्ञानिक व्याख्या २७ क-पाणिनि का सूत्र है-मनोर्जातावञ्यतौ षुक् च । ४।१।१६१ ।। वैयाकरण इसका अर्थ करते हैं-षष्ठी समर्थ (=षष्ठ्यन्त) 'मनु' प्रातिपदिक से अपत्य अर्थ में 'अ' और 'यत्' प्रत्यय होते हैं, यदि जाति अर्थ जाना जाये, तथा प्रत्यय के साथ मनु प्रातिपदिक को 'षुक्' (अन्त में षकार) का आगम होता है। यथा-मनु की अपत्य रूप ५ जाति-मानुष और मनुष्य । प्रश्न होता है कि मनु शब्द में षकार नहीं हैं, तब उससे निष्पन्न मानुष और मनुष्य में कहां से और किस प्रकार षकार आया ? साम्प्रतिक वैयाकरणों के पास इसका कोई उत्तर नहीं। इसका यथार्थ उत्तर हमारी वैज्ञानिक व्याख्या ही दे सकती है। १० वैज्ञानिक व्याख्या-संस्कृतभाषा में मानव मानुष और मनुष्य तीन शब्द प्रायः सदृश एकार्थक प्रयुक्त होते हैं । इनकी परस्पर में तुलना करने से विदित होता है कि मानव और मानुष के आदि (प्रकृति) भाग में कुछ भिन्नता है, और अन्त्य (प्रत्यय) माग 'प्र' समान है (स्वर की दृष्टि से अण और अञ् दो प्रत्यय होते हैं, परन्तु १५ 'अ' अंश दोनों में समान है) । मानुष और मनुष्य के आदि (प्रकृति) भाग में समानता (प्रत्यय-निमित्तक वृद्धि काय की उपेक्षा करके) है, और अन्त्य (प्रत्यय) भाग में विषमता है । इस अन्वयव्यतिरेकरूपी तुलना से स्पष्ट होता है कि इन तीनों शब्दों की एक मनु प्रकृति नहीं हैं । मानव की प्रकृति मनु है पोर मानुष तथा मनुष्य की प्रकृति है २० षकारान्त मनुष् । इस अन्वयव्यतिरेक से सिद्ध तत्त्व के प्रकाश में इस सूत्र की वैज्ञानिक व्याख्या होगी षष्ठयन्त मनु प्रातिपदिक से जाति-विशिष्ट अपत्य अर्थ में अञ् और यत प्रत्यय होते हैं, तथा मनु को षक (अन्त में षकार) का आगम होता है । अर्थात-मनु के अन्त में षकार का योग करके मूल २५ प्रकृतिभूत मनुष् रूप प्रातिपदिक बनाकर (=प्रकृत्यन्तर की कल्पना करके) उससे अञ् और यत् प्रत्यय करो। ___ इस व्याख्या के अनुसार प्रत्यय-विधान साक्षात् मनु से न होकर मनुष से होगा। सूत्रकार ने लोकविज्ञात 'मनु' का निर्देश लुप्त 'मनुष' शब्द का अर्थज्ञान कराने के लिये किया है। ३० प्रकृत्यन्तर कल्पना का लाभ-हमारी व्याख्या के अनुसार जो
SR No.002284
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages340
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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