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________________ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास (ज) रामलाल कपूर ट्रस्ट के कार्य करते हुए मैंने वैदिक आर्षवाङ्मय के प्रकाशन और प्रचार के लिये कई ग्रन्थों का सम्पादन एवं हिन्दी व्याख्या लिखकर (श्री चौ० नारायणसिंह प्रतापसिंह धर्मार्थ ट्रस्ट (करनाल), द्राक्षादेवी प्यारेलाल धर्मार्थ ट्रस्ट (देहली) तथा सावित्रीदेवी बागड़िया धर्मार्थ ट्रस्ट (कलकत्ता) के द्वारा प्रकाशित करवाया। ... सन् १९६१ से आजतक लिखे गये शोध ग्रन्थों और सम्पादित ग्रन्थों का वर्णन आगे किया जायेगा। विशिष्ट शोधपूर्ण लेख . मेरे संस्कृत-वाङ्मय, विशेषकर वेद और व्याकरणविषय में जो शोधपूर्ण अनेक लेख संस्कृत और हिन्दी में प्रकाशित हुये, उनमें से कतिपय विशिष्ट लेख इस प्रकार हैं - संस्कृतभाषा में निबद्ध लेख १. मन्त्रब्राह्मणयोर्वेदनामधेयम् --इत्यत्र कश्चिदभिनवो विचारः । इस निवन्ध में 'मन्त्रब्राह्मणयोर्वेदनामधेयम्' इस सूत्र पर ऐतिहासिक दृष्टिकोण से सर्वथा नये रूप में विचार किया है। वेदवाणी (वाराणसी) मासिक पत्रिका में यह लेख छपा था। सन् १९५२ २. वैदिकछन्दः-संकलनम्-इस लेख में निदानसूत्र, उपनिदानसूत्र, पिङ्गल छन्दःशास्त्र, ऋक्प्रातिशाख्य, ऋक्सर्वानुक्रमणी आदि ग्रन्थों में वैदिक छन्दःसम्बन्धी जितने भेद-प्रभेद दर्शाये हैं, उन सब का संकलन किया है । यह लेख 'सारस्वती-सुषमा' (वाराणसी) वर्ष ६ अङ्क १,२ में प्रकाशित हुआ। . सन १९५४ ३. ऋग्वेदस्य ऋक्संख्या-ऋग्वेद की ऋग्गणना सम्बन्धी मतभेदों का विवेचन यह 'सारस्वती-सुषमा' (वाराणसी) वर्ष ६ प्रक ३, ४; वर्ष १० अङ्क १-४ में छपा है। सन् १९५५ ____४. यजुषां शौक्ल्यकाjविवेकः-इस लेख में यजुर्वेदसम्बन्धी शुक्लकृष्ण भेदों की मीमांसा की है। यह सारस्वती-सुषमा (वाराणसी) वर्ष ११ अंक १-२ में छपा है। सन् १९५६ ५. काशकृत्स्नीयो धातुपाठः-इसमें कन्नड लिपि में कन्नडटीका
SR No.002284
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages340
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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