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________________ प्रात्म-परिचय (ख) सन् १९४३ से १९४५ तक 'परोपकारिणी सभा अजमेर का कार्य करते हुये अथर्ववेद (शौनकशाखा) और सामवेद (कौथुमशाखा) का विशिष्ट संशोधनकार्य किया (सभा को नीति के अनुसार मेरे द्वारा शोधित संस्करणों पर मेरा नाम नहीं दिया गया)। (ग) सन् १९४८ से १९५१ के प्रारम्भ तक 'प्रार्य साहित्य मण्डल अजमेर' में कार्य करते हए श्री स्वामी दयानन्द सरस्वती विरचित व्याकरण-सम्बन्धी वेदाङ्गप्रकाश के १४ भागों का संशोधन कार्य किया। [इनका मुद्रण मेरी अनुपस्थिति होने के कारण ये ग्रन्थ शुद्ध नहीं छपे।]. (घ) सन् १९५५-१९५८ तक क्षीरस्वामी विरचित पाणिनीय धातुपाठ की प्राचीनतम व्याख्या क्षीरतरङ्गिणी का सम्पादन, तथा वैदिकछन्दोमीमांसा का लेखन कार्य रामलाल कपूर ट्रस्ट की ओर से किया। (ङ) सन् १९५६-१९६२ तक महर्षि दयानन्द स्मारक महालय टङ्कारा ( सौराष्ट्र ) द्वारा स्थापित अनुसन्धान विभाग के अध्यक्ष के रूप में अनुसन्धान कार्य किया। इस काल में स्वामी दयानन्द सरस्वती विरचित ४० ग्रन्थों में उद्धत तथा व्याख्यात २५ पच्चीस सहस्र वचनों की सूची तैयार की। (यह प्रकाशित नहीं हुई। पञ्जाब की शास्त्री परीक्षा में नियत श्री स्वामी दयानन्द सरस्वती के यजुर्वेद भाष्य के नियत अंश का सम्पादन तथा प्रकाशन, और गोपथ ब्राह्मण के कुछ भाग के अनुवाद और व्याख्या का कार्य किया। (च) १३ अप्रेल १९६१ के दिन मैंने कतिपय मित्रों के सहयोग से अजमेर में भारतीय-प्राच्यविद्या-प्रतिष्ठान की स्थापना की। और उसके उद्देश्य के अनुसार शोधकार्य तथा संस्कृत-वाङ्मय के प्राचीन दुरूह ग्रन्थों (महाभाष्य निरुक्त पूर्वमीमांसा) का अध्यापन कार्य प्रारम्भ किया। १ मार्च १९६३ से अन्य सेब कार्य छोड़कर एकमात्र . इसी कार्य में संलग्न हो गया तब से सन् १९६६ तक अनेक ग्रन्थ लिखे, वा प्राचीन ग्रन्थों के सम्पादन वा प्रकाशन का कार्य किया। ... (छ) जुलाई १९६७ से आज तक रामलाल कपूर ट्रस्ट बहालगढ़ (सोनीपत-हरयाणा) में शोधकार्य कर रहा हूं। इस काल में अनेक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों को सम्पादित करके प्रकाशित किया है। .....
SR No.002284
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages340
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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