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________________ ३/२४ ग्यारहवां परिशिष्ट १२५ हास' नाम ग्रंथ के तीन भाग खरीदे। मेरा काम लिखने के पूर्व मेरा परिचय देता हूं। मेरा पूर्ण नाम, दत्तात्रेय काशीनाथ तारे है। मैं नागपुर में अध्यापक हूँ और मराठी भाषा पढ़ाता है। परन्तु अधुना मैं संस्कृत मौक विशेषतः संस्कृत व्याकरण और न्याय का अध्ययन कर रहा हूं हिन्दी अच्छी नहीं । कौमुदी और सिद्धान्त मुक्तविली ५ का अध्ययन कर रहा हूं। मेरा पूरा पता आखरी दिया है। आपका पता प्रकाशक के द्वारा लिखा है और आपको मेरा पत्र मिलेगा ऐसी CTETEE मैंने मराठी में एक प्रो० म० दा० साठे विरचित संस्कृत व्याकरण का इतिहास पढा। उस में ऐसा लिखा है की नागेशभट्ट के शिष्य १० और वैद्यनाथ पायगुडे अहोबल इनके सहपाठी श्री रामचन्द्रभट्ट तारे ।। चन्द्रभट्ट काशी में रहते थे और आज भी उनका भग्नु गृह वहां है। Iानसूत्रवृत्ति लिखा है। ओ अप्रसिद्ध है। श्रीराममेरी ऐसी इच्छा है की वह वत्ति संपादित करके प्रसिद्ध करना। मैंने वहालातलिखित मिलने के लिये भांडारकर प्राच्यविद्या संशोधन मंडल पुणे प्रौर काशी को भी लिखा परन्तु पुणे में वह नही है। काशी से पत्रोत्तर नहीं आया । पुणे के श्री अभ्यंकर के 'Dictionary of Sans- १ Kirt Grammer' में उसका उल्लेख है.। मेरी अापको ऐसी नम्र प्रार्थना है की वह हस्तलिखित कहां, मिलेगा और श्री रामचन्द्रभट्ट तारे के बारे में और कहां और वत्त मिल सकेगा, इस बारे में अाप कृपया २० मार्गदर्शन करें। यहां कोई वनाते नहीं। मेरी निराशा, मत करना । ऐसी विनंती। ___ मैं आप से विस्तृत पत्रोत्तर की अपेक्षा में हूं। आपके ग्रंथ सदश ग्रंथ मराठी या इंगलिश में मैंने नही देखा ! उस ग्रंथ पर से आप समर्थ हैं ऐसा मेरा विश्वास है। क्षमा करना । धन्यवाद । । - १ आपका नन्न विद्यार्थी 'द० का० तारे पता:- . . . . . . दत्तात्रेय काशीनाथ तारे दिवाळे बिल्डिंग, रायपथ, रामदासपेठ । ___३० पो० नागपुर (महाराष्ट्र) २५
SR No.002284
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages340
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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