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.. ग्यारहवां परिशिष्ट
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which Sometimes is Called वाक्यप्रदोप।' आपके ग्रन्थ में इस नाम की कोई चर्चा नहीं है, कृपया देख लें (Sacred Books of the Ea:t Vol. 25 Page 123, Footnote I). ___ मैं संस्कृत विश्वविद्यालय में नियुक्त हो गया हूं।
प्रणव रामशंकर भट्टाचार्य Research Assistant Research Institute
Sanskrit university. [दूसरे पत्र का एकांश] - देवीपुराण देवीभागवत से पृथक् हैं । इसमें 'करन्ति' प्रयोग है-:
- शून्यध्वजं सदा भूता नागगन्धर्वराक्षसाः। । विद्रवन्ति महात्मानो नानाबाधां करन्ति च ॥(३५।३७] ' 'ज्वलन्त' प्रयोगमायाविनोमत्तगजेन्द्ररसा
... देव्या समासाद्य ज्वलन्तकोपाः । (१४।२७) व्या० शा० इति० भाग १ (द्वि० सं०) को यदि मोतीझील भेज दें तो में लेता........
[जिस पत्र में उपर्युक्त पाठ था, उसका इतना ही अंश फाड़कर मैंने सुर-. " क्षित रखा था। अतः तारीख का निर्देश उपलब्ध नहीं है । गायघाट बनारस के २० पोस्ट आफिस की मोहर में 28-9-6 इतना ही पढा जाता है। द्वितीय संस्करण वैशाख सं० २०२०=अप्रेल मई १९६३ में छपा था। अतः यह पत्र २८-६-६३ या ६४ का हो सकता है।]
: १. इसका निर्देश 'सं०व्या०शा० का ई. के द्वितीय भाग के द्वितीय संस्करण (सं० २०३०) के पृष्ठ ४०१ में कर दिया था (प्रस्तुत संस्करण में पृष्ठ २५ ४३८ पर देखें)
२. इसका निर्देश 'सं० व्या० शा० का इ०' के प्रथम भाग के प्रस्तुत चौथे संस्करण (सं० २०४१) के पृष्ठ ५४, टि० ३ में कर दिया है। ..
३. इस प्रयोग का हमने उपयोग नहीं किया।