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________________ १७६ . संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास को जनश्रुति के आधार विक्रमादित्य का भाई लिखा है और प्रबंधचिन्तामणि के आधार शूद्रक का भाई । यदि जनश्रुति निर्मूल नहीं है तो विक्रमादित्य और शूद्रक का बन्धुत्व भर्तृहरि के नाते और पक्का हो जाता है। अतः इसका समय 60 से 70 A. D कहना निराधार ५ नहीं है। ___विक्रमादित्य-शूद्रक भाई-भाई हैंक्योंकि १-दोनों के अपने-अपने संवत् हैं। २-दोनों शक नरेश महेन्द्रादित्य के पुत्र हैं। ३-दोनों भर्तृहरि के भाई हैं । ४-दोनों दो-दो कालिदासों के आश्रयदाता हैं। ५-दोनों स्वयं महा-पण्डित हैं। इनके भातृत्व का पोषक श्लोक है विक्रमादित्यपर्यायः' महेन्द्रादित्यसंभवः' असौ विषमशोलोऽपि साहसाङ्क-शकोत्तरः ॥ निश्चयपूर्वक भर्तृहरि का समय 60-70 A. D है । कृपा भाव बना रहे। चरणसेवी-चन्द्रकान्त बाली ... (४१) स्व० श्री पं० रामसुरेश त्रिपाठी का पत्र २४ मैरिस रोड़ अलीगढ़ ... आदरणीय मीमांसक जी.. अष्टाध्यायी के चौथे और पांचवें अध्याय के गणपाठ पर १ डा० रावर्ट बिरले ने काम किया है। गणरत्नमहोदधि तथा अन्य १. विक्रमादित्यः=विषमादित्यः (लेखक) .. २. कथा ग्रन्यों में विक्रम के पिता का नाम महेन्द्रादित्य लिखा है । (लेखक) ३. साहसा क-कोतरः, तस्य लघुभ्राता विक्रमाङ्कः (लेखक)
SR No.002284
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages340
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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