________________
ग्यारहवां परिशिष्ट
ताण्डा २४१२।४अग्नि, सोम इन्द्र के सगे भाई नहीं, पर वैसे भ्राता हैं।
शीघ्रता में यह लिख दिया है। कापी बड़ी सावधानी से लिखें। वायु के निर्वचन अवश्य दें। और बाते लिखें।
भ० दत्त इटली के डा० टूची यहां हैं । वार्ता में बड़ा आनन्द रहा है। .....
भ०. दत्त
५
(१८)
अथ
नई देहली
१३-१२-४८ प्रियवर पण्डित जी,
नमस्ते । चान्द्र व्याकरण पर एक प्राचीन वृत्ति श्री राहुल जी तिब्बत से लाए थे। वह पटना अद्भुतालय में पड़ी है। उन्होंने उसके छाप लेने की आज्ञा दे दी है। १२ शती के अक्षरों में है। दो, १५ तीन दिन के अभ्यास से पढ़ी जाएगी। मैं आप के पटना जाने का प्रबन्ध कर दूंगा, सोच लें। - आज ५००) रु० का ड्राफ्ट श्री देवेन्द्र जी के लिए बन गया। और रुपया भी पड़ा है। कागज की अब चिन्ता नहीं। शीघ्र आप . के पास पहुंचेगा। कल के पोस्ट कार्ड में लिख चुका हूं। २०
आपिशलि का काल-राणायनीय शाखा के पश्चात-उनमें भी सात्यमुग्रीय प्रवचन हो गया था-उन दिनों वृत्तिकार भी थे। अतः यास्क से थोड़ा सा पहले अथवा भारत युद्ध से ७० वर्ष पूर्व ऐसी कोई और बात ढंढ लें। अन्य काल भी बहुत स्पष्ट लिखें । आप यहां कबा सकेंगे। शिक्षा सूत्र संग्रह अत्यन्त श्रेष्ठ है । पाणिनीय में स्वोपज्ञ भाग २५
१. बिहार रिसर्चसोसाइटी पटना में है। मैंने जाकर देखा है। प्राचीन मैथिली लिपि में है । वहां उस समय इसे पढ़ने वाला नहीं मिला। ..