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संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास
(१६) अथ
नई देहली
१०-११-४८
५ प्रियवर पण्डित जी,
___नमस्ते । ८ का कृपा कार्ड अभी मिला। कागज में अभी ८, १० दिन की देरी है । आते ही ५० रीम भेजू गा । अब कोई त्रुटि न रहने दें।
१ इन्द्र, विवस्वान आदि के पिता कश्यप प्रजापति। १० . २. अदिति के पिता-दक्ष
३. इन्द्र के भाई पुराण में देखें । इस समय बहुत शीघ्रता है, फिर लिखूगा।
भगवद्दत्त
(१७)
अथ
नई देहली
प्रिय---
न० । ऐतरेय ब्राह्मण-आदि से अध्याय नवम-- देवा वै सोमस्य राज्ञोऽग्रपेये न समपादयन् .........."यहां से लेकर सब पाठ देखें । वायु भी वहां है। पूरा ऐतिहासिक स्थान है ।
. धाता" इन्द्र"
अर्यमा" विवस्वान्".. मित्र"
पूषा"
पर्जन्य" अश"
त्वष्टा" भग" विष्णु"- वायु ६६।१३५:::.. १. द्र०-महाभारत आदि० ६६।१५-१६; हरिवंश पर्व १। अ०१॥ श्लो० ४७, ४८; तथा भविष्य पुराण ब्रा०प० अ०७३, श्लोक ५३ । यु० मी.
वरुण"'.
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