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संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास
अथ c/o Sri Satya Shrava M. A. Central Asian Antiquities
Museum Queensway New Delhi
३१-८-४८ श्री प्रियवर पण्डित युधिष्ठिर जी, १० . नमस्ते । परसों रविवार प्रातः मुम्बई से आ गया था।
डा० बेलवलकर जी से आप की बात न पूछ सका। उन्होंने भी बात नहीं की। प्रतीत होता है उन्होंने पढ़ा ही नहीं। ये सब लोग एकदेशीय पाण्डित्य रखते हैं।
- वहां और अनेक विद्वानों से मिला। वैतान श्रौत का भाष्य १५ लाया हूँ।
काशकृत्स्न विषयक जो लिखा था, बस वहां उतना लेख है । उस पुस्तक में लेखों के संक्षेप मात्र हैं पूरा पता The Eleventh all India oriental conference Hyderabad-session 1941, Summaries of Paper (संक्षेप लेखों का) पृ० १५, १६, लेखक "The Daiva Mimansa, Mr. B. A. Krishna Swamy Rao, Mysore. अब अधिक खोज करेंगे।
गीतासारमिदं शास्त्रं गीतासारसमुद्भवम् । प्रत्र स्थितं ब्रह्मज्ञानं वेदशास्त्रसमुच्चयम् ॥५॥ अष्टादश पुराणानि नव व्याकरणानि च । निर्मथ्य चतुरो वेदान् मुनिना भारतं कृतम् ॥७॥ ... No. 164 of 1883-84 of B.O. R. I.
भण्डारकर प्रो० रि० इ० [पूना] सरस्वती कण्ठाभरण २ जा प्रकरण प्रारंभ-सा च पाणिन्यादि अष्टव्याकरणोदित.......... ..