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संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास
श्रनेकार्था भवन्त्येवं पाठस्तेषां निदनर्शम् ।।
अनेकार्थाः स्मृताः
पृष्ठ १५५
इन दोनों पुस्तकों के नाम इतिहास में सन्निविष्ट कर लें । ५ इतिहास - लेखन - प्रगति पर ना यदि दे सकें, तो भी श्रेष्ठ
...
बात होगी ।
...जी से इतिहास
.......
श्रीकण्ठचरित पर जोनराज टीका पृ० २५०
.......
.......... रद्दी अवश्य देखें । यदि
.......
.............. 400000
“ फुलस्केप पूरे लिखे जावें,
" भेजते रहें । देखें, इससे "
१०
समय २ पर और भी सूचनाएं भेजता रहूंगा । पूर्ण वृत्त लिखें । सब को नमस्ते ।
(२)
श्रोम्
भगवद्दत्त
Vedic Research Institute, 9c, model town (lahore)"
प्रियवर श्री युधिष्ठिर जी,
नमस्ते । श्रपने स्वामी जी के पत्र उस ग्राम से खोजे या नहीं । हमें सारे २० पत्र मिल गए। छप रहे हैं ।
२०
१. इस पत्र को दीमकों ने खा लिया है। अतः जहां पाठ पूर्ति न हो सकी वहां ........ चिह्न दे दिये हैं ।
२. इस पत्र पर तारीख नहीं दी है । इस पर माडल टाउन लाहौर के पोस्ट आफिस की १६ अगस्त ४५ की तथा अजमेर के पोस्ट आफिस की २६ अगस्त ४५ की मोहर है ।
२५
३. मैंने किसी पत्र में अजमेर के समीप में विद्यमान 'भांवता' नामक ग्राम में स्वामी दयानन्द सरस्वती के पत्र विद्यमान होने की संभावना प्रकट की थी । यह संकेत उस की ओर है। वहां से मुझे कोई पत्र नहीं मिला ।
४. द्र० ७-८-४५ का पत्र और उसकी पृष्ठ १३७ की टिप्पणी १ ।