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________________ १३८ १५ संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास श्रनेकार्था भवन्त्येवं पाठस्तेषां निदनर्शम् ।। अनेकार्थाः स्मृताः पृष्ठ १५५ इन दोनों पुस्तकों के नाम इतिहास में सन्निविष्ट कर लें । ५ इतिहास - लेखन - प्रगति पर ना यदि दे सकें, तो भी श्रेष्ठ ... बात होगी । ...जी से इतिहास ....... श्रीकण्ठचरित पर जोनराज टीका पृ० २५० ....... .......... रद्दी अवश्य देखें । यदि ....... .............. 400000 “ फुलस्केप पूरे लिखे जावें, " भेजते रहें । देखें, इससे " १० समय २ पर और भी सूचनाएं भेजता रहूंगा । पूर्ण वृत्त लिखें । सब को नमस्ते । (२) श्रोम् भगवद्दत्त Vedic Research Institute, 9c, model town (lahore)" प्रियवर श्री युधिष्ठिर जी, नमस्ते । श्रपने स्वामी जी के पत्र उस ग्राम से खोजे या नहीं । हमें सारे २० पत्र मिल गए। छप रहे हैं । २० १. इस पत्र को दीमकों ने खा लिया है। अतः जहां पाठ पूर्ति न हो सकी वहां ........ चिह्न दे दिये हैं । २. इस पत्र पर तारीख नहीं दी है । इस पर माडल टाउन लाहौर के पोस्ट आफिस की १६ अगस्त ४५ की तथा अजमेर के पोस्ट आफिस की २६ अगस्त ४५ की मोहर है । २५ ३. मैंने किसी पत्र में अजमेर के समीप में विद्यमान 'भांवता' नामक ग्राम में स्वामी दयानन्द सरस्वती के पत्र विद्यमान होने की संभावना प्रकट की थी । यह संकेत उस की ओर है। वहां से मुझे कोई पत्र नहीं मिला । ४. द्र० ७-८-४५ का पत्र और उसकी पृष्ठ १३७ की टिप्पणी १ ।
SR No.002284
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages340
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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