________________
३/१७
दसवां परिशिष्ट . १२६ पर 'क्षेमेन्द्र टिप्पण खण्डन' नामक ग्रन्थ लिखा है (द्र० 'सारस्वत के टीकाकार' प्रकरण, पृष्ठ ७०८) ।
पृष्ठ ४४४, पं० ६ 'सूचीपत्र भाग २, पृष्ठ ७४' इस पर टिप्पणी-यह सूचीपत्र इस समय हमारे पास नहीं है। लाहौर में देख कर भाग और पृष्ठ संख्या का निर्देश किया था। अडियार के वर्तमान ५ में उपलब्ध व्याकरण विभागीय सूचीपत्र में ग्रन्थ संख्या १३८, पृष्ठ ३८ पर गोपालकृष्ण शास्त्री विरचित 'शाब्दिक चिन्तामणि' का निर्देश मिलता है।
पृष्ठ ४४४, पं० १३ ‘है।' के नीचे बढ़ावें'यह ग्रन्थ अधूरा ही रहा, इसकी पूर्ति गोपालकृष्ण शास्त्री १० के पुत्र ने की । द्र० अडियार व्याकरण विभागीय सूचीपत्र, ग्रन्थ संख्या १३८, पृष्ठ ३८, ३६ ।। ___ पृष्ठ ४४६, पं० 'लिखा है' पर टिप्पणी--'अडियार के व्याकरण विभागीय सूचीपत्र ग्रन्थ संख्या ५५६, पृष्ठ २१२ पर निर्दिष्ट 'विद्वन्मुखभूषण' के नवाह्निक के हस्तलेख के अन्त का पाठ इस प्रकार है- १५
इति प्रयागवेङ्कटाद्रिविरचिते महाभाष्यविद्वन्मुखभूषणे प्रथमाध्याये प्रथमे पादे नवाह्निकम् ।
पृष्ठ ४५१, पं० ७ 'नाम दत्तात्रेय है' के आगे बढ़ावें-भण्डारकर प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान पूना के उक्त हस्तलेख के अन्त का पाठ इस प्रकार है
इति श्रीभगवद्गणे (श)प्रसादप्राप्तसत्प्रज्ञाभासुरविदुरशिरोमणिदत्रात्रेययूज्यपादशिष्य-व्याकरणार्णवकर्णधारगोलिंगोणि ( ? ) नामककमलाकरदीक्षितच [रण] समाराधनसमधिगतमहाभाष्याशयगूढतत्त्वस्य श्रीमत्सकलविद्यानिपुणान्तर्वाणि (सि ?) शिरोमणिमहागुरुनै लकण्ठिभट्टारकपादपरिचर्याध्वस्तसमस्ताज्ञानस्य भट्टसदाशिवस्य कृतौ गूढार्थ- २५ दीपिन्यामष्टमोऽध्यायः स [मा] प्तिमगात् ।
पितुरभ्यर्णमभ्यस्य भाष्यं भाष्यविदां मणिम्। .
कमलाकरमासाद्य व्यधत्तेदं सदाशिवः ॥ उक्त विवरण के अनुसार सदाशिव भट्ट के पिता का नाम नीलकण्ठ था। इन्होंने अपने बड़े भाई नैलकण्ठि कमलाकर दीक्षित से ३०