SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 127
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११६ . संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास स्पष्ट है । कात्यायन तथा पतञ्जलि को ज्ञात सूत्रपाठ काशिका में स्वीकृत पाठ से भिन्न है और कोई परिवर्तन के स्रोत को खोज सकता है । दूसरे अल्पप्रमाण सिद्ध प्रक्षेप सुझाये गये हैं। १७. (पृ० १५५)-टि० ५५ (पृ० ३२०)-ध्यान रहे कि ५ रा० शं० भट्टाचार्य-[बिर्वे द्वारा प्रत्याख्यात, स० बहुलिकर भी विर्वे से सहमत] ये ही उपाय यु० मी० (१९७३ : १ : २३०-३५) ने भी उपस्थित किये हैं। १८. (पृ० १६०)--यु० मी० (१९७३ : २ : १९५६) यद्यपि यह स्वीकार करते हैं कि शिवसूत्रों की रचना पाणिनि ने की, तथापि १० उन का सुझाव है कि इन में से एक सूत्र अर्थात् 'अमङणनम्', आपि शलि से लिया गया था। यह मत यु० मी० की इस मान्यता पर आधृत है कि पाणिनीय शिक्षा का सूत्रपाठ पाणिनिकृत है। परन्तु यह सन्दिग्ध हैं, देखें खण्ड ३.१.४ ४ बी (पृ० १७९-८२.)। १६. (पृ० १६१)-[धात्वर्थ-निर्देश] -इस विषय से सम्बद्ध १५ में लाक्षारोचनाशकलकर्दमाट् ठक् और शकलकर्दमादणपीष्यते ऐसा द्रविड़ प्राणायाम करने की क्या आवश्यकता थी ? . (ग) संख्या ४ का प्रमाण तो भेर्याघात के समान स्पष्ट घोषणा करता है कि काशिकाकार चान्द्रसूत्र वा उसकी वृत्ति का अनुसरण नहीं करता, अन्यथा वह काशिका ७।२।४६ में चान्द्रसूत्र में पठित तनि पति दरिद्रा धातुओं को सूत्र में पढ़कर 'केचिदत्र भरज्ञपिसनितनिपतिदरिद्राणाम्' इति पठन्ति लिखकर अपने सूत्र पाठ की शुद्धता की घोषणा न करता। इन सुदृढ़ प्रमाणों के विद्यमान होते हुए और उन पर यथोचित विचार न करके कीलहान की मान्यता की प्रामाणिकता का डिण्डिम घोष करने में जार्ज कार्डीना का क्या प्रयोजन है ? यह वे ही जानते होंगे। वस्तुतः कीलहान आदि सभी विद्वान् हरदत्त भट्टोजिदीक्षित आदि के अधिचारित रमणीय लेखों से प्रभावित थे। उन्होंने इस विषय में गहन अनुसन्धान ही नहीं किया। प्रस्तुत संस्करण, भाग २, पृष्ठ २०८ । .. यह पृष्ठ संख्या पाणिनिः ए सर्वे आफ रिसर्च' ग्रन्थ की है।
SR No.002284
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages340
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy