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________________ धातुपाठ के प्रवक्ता और व्याख्याता ( १ ) २६ सत्प्रयास से यह दुर्लभ ग्रन्थ चन्नवीर कृत कन्नड टीका सहित कन्नडलिपि में कुछ वर्ष पूर्व प्रकाशित हो गया। इस धातुपाठ की कन्नडटीका में लगभग १३७ काशकृत्स्न सूत्रों के उपलब्ध हो जाने से व्याकरण - शास्त्र के पूर्वपाणिनीय इतिहास पर बहुतसा नया प्रकाश पड़ा है। काशकृत्स्न के विषय में इस ग्रन्थ के प्रथम भाग पृष्ठ ११५-१३३ (च० सं०) पर लिख चुके हैं । परन्तु धातुपाठ और उसकी टीका के उपलब्ध हो जाने, तथा काशकृत्स्न व्याकरण के १३७ सूत्र प्राप्त हो से 'काशकृत्स्न व्याकरण' के विषय में जो कुछ नया प्रकाश पड़ा है, उसके लिए हमारा 'काशकृत्स्न-व्याकरणम्' पुस्तिका तथा १० 'काशकृत्स्न धातुव्याख्यानम्' का देखनी चाहिए । धातुपाठ का नामान्तर 'काशकृत्स्न धातुपाठ' के मुख पृष्ठ पर 'काशकृत्स्न शब्दकलाप धातुपाठ' नाम निर्दिष्ट है । इससे प्रतीत होता है कि ' शब्दकलाप' काशकृत्स्न धातुपाठ का नामान्तर है । शब्दकलाप नाम का कारण - इस ग्रन्थ के शब्दकलाप नाम में क्या कारण हैं, इसका स्पष्टीकरण न टीकाकार ने किया है और नाही सम्पादक ने । हमारा अनुमान है - शब्दानां कलां धात्वंशं पाति रक्षति ( शब्दों की धातुरूप कला = अंश की रक्षा करता है) व्युत्पत्ति से धातु - पाठ का ‘शब्दकलाप' नाम उपपन्न हो सकता है । अथवा बृहत्तन्त्रात् २० कला : पिबतीति कलाप:, ' शब्दानां कलापः शब्दकलाप: ( जो बड़े तन्त्र = शास्त्र से कलानों =अंशों को पीता है - ग्रहण करता है, वह 3 १. इसका एक संस्करण रोमन अक्षरों में भी अभी अभी प्रकाशित हुआ है। २५ २. सब से पूर्व हमने 'काशकृत्स्न व्याकरण और उसके उपलब्ध सूत्र' शीर्षक निबन्ध में इस विषय पर प्रकाश डाला था । इस निबन्ध का पूर्वार्ध 'साहित्य' (पटना) के वर्ष ६ अंक १, तथा उत्तरार्ध वर्ष १० क २ में प्रकाशित हुआ है। ३. तुलना करो - बृहत्तन्त्रात् कलाः पिवतीति कलापकः शास्त्रम् । द० उ० वृत्ति ३ | ५ || है धातुप रायण (पृष्ठ ६ ), उणादि विवरण (पृष्ठ १० ) ॥ ३०
SR No.002283
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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