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लक्ष्य-प्रधान काव्यशास्त्रकार वैयाकरण कवि
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११-वासुदेव कवि . किसी वासुदेव नामा विद्वान् विरचित वासुदेव-चरित अथवा वासुदेव-विजय नामक एक काव्य मिलता है। ___ अनेक वासुदेव-वासुदेव नामक अनेक कवि हो चुके हैं । एक वासुदेव भट्टभूम विरचित रावणार्जुनीय काव्य का व्याख्याता है ५ (इसके विषय में पूर्व लिख चुके हैं) । दूसरा वासुदेव कवि युधिष्ठिरविजय काव्य का रचयिता है। इनके अतिरिक्त अन्य भी कतिपय वासुदेव नामा कवि हो चुके है। ___ कोथ को भूल कीथ ने अपने 'संस्कृत साहित्य का इतिहास' ग्रन्थ के (हिन्दी अनुवाद) पृष्ठ १६४ टि० ३ में 'वासुदेवविजय' और १० 'युधिष्ठिरविजय' के रचयिता दो सनामा कवियों को एक बना दिया है, यह उसकी प्रत्यक्ष भूल है । दोनों के ग्रन्थों की रचना-शैली इतनी भिन्न-भिन्न है कि दोनों को एक किसी प्रकार नहीं माना जा सकता। इस दृष्टि से 'संस्कृत साहित्य का संक्षिप्त इतिहास' के लेखकद्वय ने इन दोनों ग्रन्थों के रचयितानों को कश्मीर वासी मानते हुए भी इनके १५ पार्थक्य के विषय में जो कुछ लिखा हैं (द्र०-पृष्ठ १७६-१७७) वह सर्वथा ठीक है।
वासुदेव-चरित- इस काव्य में ६ सर्ग हैं । अन्त के तीन सर्गों को धातुकाव्य भी कहा जाता है । यह निर्णयसागर बम्बई से प्रकाशित काव्यमाला में छप चुका है। .
. संस्कृत मेन्युस्कृप्ट्स प्राइवेट लायब्ररी साऊथ इण्डिया के सूचीपत्र में ग्रन्थक्रमाङ्क २६२१, २८९०, पृष्ठ २३८, २५६, पर धातुकाव्य के दो हस्तलेख निर्दिष्ट हैं। वहां इनके रचयिता का नाम नारेरी वासुदेव अङ्कित है। - ये दोनों हस्तलेख वासुदेव विजय के उत्तरार्ध के ही हैं, अथवा २५ स्वतन्त्र ग्रन्थ हैं, यह कहना कठिन है।
अन्य धातुकाव्य नारायण कवि कृत भी एक धातुकाव्य है। इस का वर्णन आगे किया जाएगा।
वासुदेवविजय के रचयिता वासुदेव कवि के विषय में हमें इससे अधिक कुछ ज्ञात नहीं।
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