SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 475
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४५० संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास ६६५ से पूर्ववर्ती है । अतः उसके शिष्य मण्डन मिश्र का काल भी विक्रम सं० ६९५ से पूर्व है । की पाश्चात्त्य विद्वानों ने इत्सिंग के वचन की विवेचना करके भर्तृहरि मृत्यु का काल ७०८ विक्रम संवत् माना है । और उसी के आधार ५. पर कुमारिल शंकर मण्डन मिश्र प्रभृति का काल निर्णय किया है, वह सब अशुद्ध है । इसकी मीमांसा के लिये देखिये हमारा यही ग्रन्थ भाग १, पृष्ठ ३८७ - ३६५ ( च० सं०) । r टीकाकार- परमेश्वर मण्डन मिश्र विरचित 'स्फोट सिद्धि' पर ऋषिपुत्र परमेश्वर की १० एक उत्कृष्ट व्याख्या हैं । यह मद्रास विश्वविद्यालय ग्रन्थमाला में छप चुकी है। परिचय -: दक्षिण भारत में नाम रखने की जो परिपाटी है, उसके अनुसार ज्येष्ठ पुत्र का वही नाम रखा जाता है जो उसके पितामह का होता है । इस प्रकार का वंश में दो ही नाम अनेक पौढ़ियों तक १५ व्यवहृत होते रहते हैं । इस कारण 'स्फोटसिद्धि' के टीकाकार का काल निर्धारण करना अत्यन्त दुष्कर है । इस ग्रन्थ के सम्पादक शे० क्र० रामनाथ शास्त्री ने इस विषय में जो छान-बीन की है, उसके अनुसार उन्होंने इसका वंशवृक्ष इस प्रकार बनाया है गौरी (पत्नी) + ऋषि+ भवदास (भ्राता) परमेश्वर (न्यायकणिका का व्याख्याता ) गोपालिका (पत्नी) ऋषि भवदास वासुदेव सुब्रह्मण्य शंकर परमेश्वर (गोपालिका प्रणेता) I ऋषि परमेश्वर ( मीमांसासूत्रार्थ संग्रहकर्त्ता ) २५ मण्डन मिश्र की 'स्फोटसिद्धि' के व्याख्याता परमेश्वर की माता का नाम गोपालिका था। इस कारण इस टीका का लेखक द्वितीय ऋषि पुत्र परमेश्वर है ।
SR No.002283
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy