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प्रातिशाख्य आदि के प्रवक्ता और व्याख्याता
२- भाष्यकार रुद्र देवत्रत
अभी-अभी मुद्रण-काल में मद्रास के पं० एम० रामचन्द्र दीक्षित' का १४-६-८४ का पत्र मिला है। उस में आपने लिखा हैस्तोभभाष्यम् - अक्षरतन्त्रम् रुद्रदेवव्रतभाष्यम् त्रयं मिलित्वा श्रधुना मुद्राप्यते ...... ।
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इस ग्रन्थ के प्रकाशित होने पर सम्भव है अक्षर तन्त्र और भाष्यकार रुद्र देवव्रत के सम्बन्ध में अधिक जानकारी प्राप्त हो सके। ऐसी आशा है।
१८ - छन्दोग व्याकरण
सरस्वती भवन काशी के संग्रह में छन्दोग व्याकरण नाम से एक १० हस्तलेख निर्दिष्ट है । इसकी संख्या २०८७ है ।
हमने यह हस्तलेख देखा नहीं । ऋवतन्त्र को भी छन्दोगों (सामवेदियों) का व्याकरण कहा जाता है । अतः अधिक सम्भावना यहीं है कि यह हस्तलेख ऋवतन्त्र का होगा । विशेष ज्ञान हस्तलेख के देखने पर ही हो सकता है ।
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इस प्रकार इस अध्याय में प्रातिशाख्य आदि वैदिक व्याकरणों के प्रवक्ता और उनके व्याख्याताओं का वर्णन करके अगले अध्याय में व्याकरण के दार्शनिक ग्रन्थों के लेखकों का वर्णन किया जाएगा ।
१. पं० म० रामचन्द्र दीक्षित ने सामवेद से सम्बद्ध अनेक ग्रन्थ प्रकाशित किये हैं और कर रहे हैं । इनका पता है- एम० रामनाथ दीक्षित, ३८ एन० एम० के० स्ट्रीट, मद्रास-४ ।