SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 447
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १० २० ४२२ संस्कृत व्याकरण - शास्त्र का इतिहास नीय शिक्षा के सम्पादक मनोमोहन घोष ने इस उद्धरण का पृष्ठ १ पर शुद्ध पाठ देकर भी पृष्ठ २६ पर पाठ का शोध नहीं किया, यह चिन्त्य है | संख्या ३ का उद्धरण प्रपा० १ खण्ड ३ में स्वल्पपाठान्तर से मिलता है । ३० संख्या ४ के उद्धरण का पूर्व भाग, प्रपा ० १ खण्ड २ के अन्त में, और उत्तर भाग खण्ड ३ के आरम्भ में स्वल्पभेद से मिलता है। पाणिनीय शिक्षा के काशी संस्करण में उत्तर भाग का पाठ अत्यन्त भ्रष्ट है । प्रवक्तृत्व पर विचार - ऊपर प्राचीन ग्रन्थकारों के दो मत उद्धृत किए हैं। एक के अनुसार ऋक्तन्त्र का प्रवक्ता शाकटायन हैं, और १५ दूसरे के अनुसार प्रदवजि । ऋक्तन्त्र के प्रारम्भ में श्वासो नाद इति शाकटायनः सूत्र में शाकटायन का मत निर्दिष्ट है, और प्रपा० २ खण्ड ६ सूत्र १० न्यायेनौदवजि: में प्रौदवजि का नामतः उल्लेख है । नारदीय शिक्षा प्रपा० २ कण्डिका ८ श्लोक ५ ( पृष्ठ ४४३ काशी शिक्षासंग्रह) में किसी प्राचीन औदवजि का मत निर्दिष्ट है ।' संख्या ८ का उद्धरण प्रपा ० १ खण्ड २ में मिलता है, परन्तु पञ्जिका का पाठ कुछ भ्रष्ट है । संख्या ५, ६ का पाठ मुद्रित ऋक्तन्त्र में नहीं मिलता । डा० सूर्यकान्त का विचार - डा० सूर्यकान्त का विचार है कि ऋक्तन्त्र का प्रथम प्रणयन प्रौदवजि ने किया था । उसका थोड़े से परिवर्तन और परिवर्धन के साथ द्वितीय संस्करण शाकटायन ने किया । ऋक्तन्त्र का जो संस्करण सम्प्रति मिलता है, वह उसका तृतीय संस्करण है । और यह निश्चित ही पाणिनि से उत्तरवर्ती है ।' २५ डा० सूर्यकान्त जी के विचार का आधार ऋक्तन्त्र में प्रदि और शाकटायन दोनों नामों का कण्ठतः निर्देश प्रतीत होता है । हमारा विचार - नारदशिक्षा ( २२८/५ ) में प्रौदवजि के साथ १. तेनास्यकरणं सौक्ष्म्यं माधुर्यं चोपजायते । वर्णांश्च कुरुते सम्यक् प्राचीनवजिर्यथा ॥ २. डा० सूर्यकान्त सम्पादित ऋक्तन्त्र भूमिका, पृष्ठ ३६-४३ ।
SR No.002283
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy