SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 426
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रातिशाख्य आदि के प्रवक्ता और व्याख्याता ४०१ (७) भैरवार्य तैत्तिरीय पार्षद पर भैरव प्रार्य नाम के व्यक्ति ने वर्णक्रमदर्पण नाम्नी एक व्याख्या लिखी है । इसका एक हस्तलेख मद्रास राजकीय हस्तलेख पुस्तकालय के सूचीपत्र भाग २६, पृष्ठ १०५६८, ग्रन्थाङ्क १६२०८ पर निर्दिष्ट है । इसका प्रारम्भिक श्लोक इस प्रकार है'तैत्तिरीयवेदस्य वर्णानां क्रमदर्पणम् । वमानभैरवार्येण बालोपकृतये कृतम् ॥' 1 २ / ५१ इस ग्रन्थ और इसके रचयिता के विषय में हम इससे अधिक कुछ नही जानते । (८) पद्मनाभ अडियार हस्तलेख संग्रह में पद्मनाभ कृत तैत्तिरीय प्रातिशाख्य विवरण का एक हस्तलेख है । द्रष्टव्य – सूचीपत्र भाग १ | इसके विषय में हम इससे अधिक कुछ नहीं जानते । (६) अज्ञातनाम १५ माहिषेय भाष्य के सम्पादक वेङ्कटराम शर्मा ने स्वीय निवेदना में अडियार के हस्तलेख संग्रह में वैदिकभूषण अथवा भूषणरत्न नाम्नी प्रातिशाख्य व्याख्या का निर्देश किया है । सम्पादक ने इस व्याख्या hat वैदिकाभरण से भी अर्वाक्कालिक बताया है । इस व्याख्या का कुछ अंश माहिषेय भाष्य के त्रुटित अंश में मुद्रित है । इस ग्रन्थ के रचयिता का नाम अज्ञात है । ७ - मैत्राय गीय प्रातिशाख्य मैत्रायणीय चरण' का प्रातिशाख्य इस समय भी सुरक्षित है । २० १. सम्प्रति मैत्रायणी संहिता के नाम से प्रसिद्ध संहिता मैत्रायणीय चरण की कोई विशिष्ट शाखा है । मैत्रायणी चरण की शाखाओं के विनष्ट हो जाने और एकमात्र प्रवशिष्ट शाखा मैत्रायणीय चरण के नाम पर मैत्रायणी संहिता के रूप में प्रसिद्ध हो गई । जैसे तैत्तिरीय चरण की एकमात्र अवशिष्ट श्रापस्तम्बी शाखा तैत्तिरीय संहिता नाम से प्रसिद्ध है । २५
SR No.002283
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy