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________________ ३०० संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास मङ्गलदेव का संस्करण यद्यपि उत्तम है, पुनरपि इसमें अभी पाठसंशोधन की महती स्थिति है। परिचय-उव्वट ने प्रातिशाख्यभाष्य में अपने को आनन्दपुर का रहनेवाला और वज्रट का पुत्र कहा है। ५ काल-उव्वट ने अपने यजुर्वेद भाष्य के अन्त में भोजराज के काल में मन्त्रभाष्य लिखने का उल्लेख किया है। भोज का राज्यकाल सामान्यतया स० १०७५-१११० तक माना जाता है। देश-वज्रट उव्वट आदि नामों से विदित होता है कि यह कश्मीरी ब्राह्मण था। काशी के सरस्वती भवन के हस्तलेख के अनु१० सार काशी से मुद्रित यजुर्भाष्य के १३ वें अध्याय के अन्त में लिखा है कि यजुर्वेद-भाष्य उज्जयिनी में लिखा गया है। यही भाव अन्य हस्तलेखों के पाठों का भी है। उनमें 'अवन्ती' का निर्देश है। अन्य ग्रन्थ-उब्वट ने ऋक्प्रातिशास्य के अतिरिक्त माध्यन्दिनी संहिता, शुक्लयजुःप्रातिशाख्य और ऋक्सर्वानुक्रमणी पर भी अपने १५ भाष्य लिखे हैं। (५) सत्ययशाः ऋक्प्रातिशाख्य पर सत्ययशाः नाम के किसी व्यक्ति ने एक व्याख्या लिखी है। इसका एक हस्तलेख विश्वेश्वरानन्द शोध संस्थान होशियारपुर के संग्रह में विद्यमान है। द्रष्टव्य-संख्या ४१३१, सूची२० पत्र पृष्ठ ५०। यह हस्तलेख पूर्ण है। इसमें २०४ पत्रे हैं। इसका ग्रन्थमान ३५०० श्लोक है । यह केरल लिपि में लिखा हुआ है। इससे अधिक हम इसके विषय में कुछ नहीं जानते। (६) अज्ञातनाम मद्रास राजकीय हस्तलेख-संग्रह के सूचीपत्र भाग ५, खण्ड १वी के पृष्ठ ६३२७, संख्या ४३०१ पर वाक्यदीपिका नाम्नी ऋक्प्राति २५ के १. ऋष्यादींश्च नमस्कृत्य प्रवन्त्यामुब्वटो वसन । मन्त्राणां कृतवान् भाष्यं महीं भोजे प्रशासति ॥ २. उवटेन कृतं भाष्य मुज्जयिन्यां स्थितेन तु।
SR No.002283
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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