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फिट् सूत्रों का प्रवक्ता और व्याख्याता
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पुत्र थे-महादेव, रामकृष्ण, जयकृष्ण, चतुर्थ अज्ञातनाम । महादेव महाभाष्य का अच्छा विद्वान् था।
३. नागेश भट्ट-नागेश भट्ट ने सिद्धान्तकौमुदी पर लघु और बृहत् दो प्रकार के शब्देन्दुशेखर लिखे हैं। उन दोनों में सिद्धान्तकौमुदीस्थ फिट-सूत्र-वृत्ति पर व्याख्या लिखी है। नागोजि भट्ट ने ५ संख्या २ पर निर्दिष्ट अज्ञातकर्तृक व्याख्या को अपने ग्रन्थ में कई स्थानों पर उद्धृत किया है । लघु शब्देन्दुशेखर के व्याख्याकार भैरव ... मिश्र ने प्रकरण प्राप्त फिट सज्ञों की व्याख्या की है।
तत्त्वबोधिनी और बालमनोरमा जैसी प्रसिद्ध टीकात्रों के लिखनेवाले ग्रन्थकारों ने सिद्धान्तकौमुदी के स्वरवैदिकप्रकरण की व्याख्या १० नहीं की। स्वरवैदिक प्रकरण के साथ चिरकाल से की जानेवाली उपेक्षा का ही यह परिणाम प्रतीत होता है। ६-श्रीनिवास यज्वा (सं० १७५० वि० के समीप)
श्रीनिवास यज्वा ने पाणिनीय शब्दानुशासन के अन्तर्गत स्वरसूत्रों पर स्वरसिद्धान्तचन्द्रिका नाम्नी एक सुन्दर विशद व्याख्या १५ लिखी है । इसी के अन्तर्गत श्रीनिवास ने फिटसूत्रों की भी व्याख्या की है । यह व्याख्या पूर्वनिर्दिष्ट सभी व्याख्यानों से अधिक विस्तृत तथा उपयोगी है।
परिचय-श्रीनिवास यज्वा ने स्वरसिद्धान्तचन्द्रिका के प्रारम्भ में अपना जो परिचय दिया है,तदनुसार इसकी माता का नाम अनन्ता, २० पिता का कृष्ण, और गुरु का नाम 'रामभद्र यज्वा' था। और इसका गोत्र संकृत्य था।
काल-श्रीनिवास यज्वा के गुरु रामभद्र दीक्षित ने. सीरदेवीय परिभाषावृत्ति पर एक व्याख्या लिखी है, और उणादिसूत्रों की टीका की है। रोमभद्र दीक्षित का काल सं० १७४४ वि० के लगभग है(द्र०- २५ उणादिव्याख्याकार प्रकरण भाग २, पृष्ठ २३४-२३५ तृ० सं०)। अतः श्रीनिवास यज्वा का भी यही काल होगा।
इस प्रकार इस अध्याय में फिटसूत्र के प्रवक्ता और व्याख्याताओं का वर्णन करके अगले अध्याय में प्रातिशाख्यों के प्रवक्ता और व्याख्याता प्राचार्यों का वर्णन करेंगे।