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फिट् सूत्रों का प्रवक्ता और व्याख्याता
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उसे हरदत्त का परस्पर विरोध स्पष्ट हो जाता। नागेश भी यहां किंकर्तव्यमूढ़ ही बना रहा।
पाणिनि-शेषकुलावतंस रामचन्द्र पण्डित ने स्वरप्रक्रिया नाम का एक ग्रन्थ लिखा है उसकी व्याख्या भी रामचन्द्र ने स्वयं की है। यह ग्रन्थ प्रानन्दाश्रम ग्रन्थावली में पूना से सन् १९७४ में छपा है। ५
इसमें प्रातिपदिक स्वर प्रकरण में फिट सूत्रों के विवरण में रामचन्द्र स्वीय व्याख्या में लिखता है. वस्तुतस्तु फिटसूत्राणां पाणिनीयत्वमेव पूर्वोदाहृतभाष्यस्वरसात्, पूर्वकालत्वं च । ....... शान्तनवाचार्यस्तु वृत्तिकारः, न तु सूत्रकार इति न कापि अनुपपत्तिः । पृष्ठ ४३ ।।
इस लेख के अनुसार रामचन्द्र पण्डित के मत में फिट सूत्रों का प्रवक्ता पाणिनि है और शान्तनव प्राचार्य उसका वृत्तिकार है।
फिट् सूत्रों के कतिपय हस्तलेखों के अन्त में भी पाणिनि का नाम मिलता है।
इन तीन मतों में से रामचन्द्र पण्डित का मत 'फिट् सूत्र पाणिनि १५ प्रणीत हैं और वृत्तिकार शान्तनवाचार्य है' मुरारेस्तृतीयः पन्थाः न्यायानुसार उपेक्षणीय है। इसमें अन्य कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं होता है।
फिट् सूत्र शन्तनु प्राचार्य प्रोक्त हैं वा शान्तनव आचार्य प्रोक्त यह मत विमर्श योग्य है। फिट् सूत्र शन्तनु प्रोक्त हैं यह हरदत्त २० (पद० ७।३।४) का लेख उसके पद० ६।२।१४ के लेख से ही विरुद्ध है । अतः बहुमत से फिट् सूत्रों का प्रणेता शान्तनव प्राचार्य है यही मानना उचित प्रतीत होता है। ऐसा स्वीकार करने पर भी वह शन्तनु कौन है जिस के पुत्र ने फिट सूत्रों का प्रवचन किया और उसका मुख्य नाम क्या था। इस विषय में इतिहास से कुछ भी प्रकाश २५ नहीं पड़ता।
शन्तनु और शान्तनव दोनों निर्देशों का समाधान कथंचित् पिता पुत्र अभेदोपचार मानकर किया जा सकता है।
हमने इस ग्रन्थ के पूर्व संस्करणों में फिट् सूत्रों का प्रवक्ता शन्तनु