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________________ फिट् सूत्रों का प्रवक्ता और व्याख्याता ३४७ शन्तनु-हरदत्त पदमञ्जरी में काशिका ७।३।४ के सौवरोऽध्याय की व्याख्या में लिखता है स पुनः शन्तनुप्रणीतः फिष् इत्यादिकम् । पृष्ठ ८०४। श्री निवास यज्वा स्वरसिद्धान्तचन्द्रिका में फिट् सूत्रों की व्याख्या के प्रारम्भ में लिखता हैअथ यत् फिट सूत्राभिधमुदितं शन्तनु महर्षिणा शास्त्रम्। । पृष्ठ २५६ । इन उद्धरणों में फिट् सूत्रों का प्रवक्ता शन्तनु प्राचार्य माना . गया है। शान्तनव-हरदत्त पदमञ्जरी ६।२।१४ में लिखता है - १० फिष् इत्यादिमेन योगेनैव शान्तनवीयं चतुष्कं सूत्रमुपलक्षयति । पृष्ठ ५३२ । हरदत्त का यह लेख उसके पदमञ्जरी ७३।४ के लेख से विपरीत है । शन्तनु का अपत्य शान्तनव होगा। 'उसका सूत्रपाठ' इस अर्थ में तस्येदम् (४।३।१२०) से छ प्रत्यय होकर शान्तनवीय १५ प्रयोग निष्पन्न होगा। अतः इस लेख के अनुसार फिट् सूत्रों का प्रवक्ता शान्तनव प्राचार्य होना चाहिए। - फिट सूत्रों की जो प्राचीन वत्ति जर्मनी में छपी है। उस में प्रथम सूत्र की व्याख्या में लिखा है कि चेदं फिडिति ? फिडिति तिपदिकप्रदर्शनार्थम् । शान्तनवा- २० चार्य फिडिति प्रातिपदिकसंज्ञां कृतवान्-अर्थवदधातुरप्रत्ययः फिष्, कृत्तद्धितसमासाश्च । इससे इस वृत्तिकार के मत में भी फिट् सूत्रों का प्रवक्ता शान्तनवाचार्य प्रतीत होता है। ' भट्टोजि दीक्षित ने शब्दकौस्तुभ १ । १।३७ ( पृष्ठ २२३ ) २५ । पर लिखा है निपात संज्ञा विरहे तु शान्तनवाचार्यप्रणीतस्य निपाता माधुमत्ता इति फिटसूत्रस्य विषयविभागो न लभ्येत । ऐसा हो सिद्धान्त कौमुदी में प्रातिपदिक स्वर के अन्तर्गत फिट सूत्रों की व्याख्या के अन्त में लिखा है ३०
SR No.002283
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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