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________________ २/४२ परिभाषा-पाठ के प्रवक्ता और व्याख्याता ३२९ १७. शेषाद्रि सुधी शेषाद्रि सुधी नामक वैयाकरण ने परिभाषाभास्कर नाम्नी परिभाषावृत्ति लिखी है। इसे कृष्णमाचार्य ने सन् १९०२ में प्रकाशित किया है । ग्रन्थकार ने इसमें अपना कुछ भी परिचय नहीं दिया। म० म० काशीनाथ अभ्यङ्कर ने 'परिभाषा संग्रह' में इसे पृष्ठ ३७८- ५ ४६५ तक छपवाया है। शेषाद्रि ने इस व्याख्या में स्थान-स्थान पर नागेश भट्ट कृत परिभाषेन्दुशेखर का नाम-निर्देश के विना खण्डन किया है । यथा परिभाषा २३ की व्याख्या में यत्तु नव्योक्तम्-विशेष्यान्तरासत्त्वे शब्दरूपं विशेष्यमादाय येन विधिसूत्रेण तदन्तविधिः सिद्ध इति, १० तदयुक्तम् ।' यह नव्योक्त वचन शब्दवपरीत्य से परिभाषेन्दुशेखर में २३ वीं' परिभाषा की व्याख्या में उपलब्ध होता है। इसी प्रकार परिभाषा-भास्कर परिभाषा ८८ में-एतेन नमःशब्दस्य किया वाचित्वम्, इयं च वाचनिक्येव इत्यादि नव्योक्तमपास्तम १५ यह नव्योक्त मत परिभाषेन्दुशेखर परिभाषा १०३° में निर्दिष्ट है। यदि शेषादिकृत परिभाषा-भास्कर का अध्ययन किया जाये तो स्पष्ट प्रतीत होता है कि लेखक ने यह ग्रन्थ परिभाषेन्दुशेखर के खण्डन के लिये ही रचा है। शेषाद्रि सुधी का देश काल अज्ञात है। हां, इसके परिभाषा- २० भास्कर में परिभाषेन्दुशेखर का खण्डन होने से स्पष्ट है कि शेषाद्रि सुधी नागेशभट्ट से उत्तरवर्ती है। .. १८. रामप्रसाद द्विवेदी (सं० १९७३ वि० ) रामप्रसाद द्विवेदी नामक व्यक्ति ने सार्थपरिभाषापाठ नाम से १. म० म० अभ्यङ्कर जी ने इस पाठ पर परिभाषेन्दुशेखर की परिभाषा २५ की संख्या नहीं दी है। २. इस पर अभ्यङ्गर जी ने (प० भा० शे० ९४) निर्देश किया है । द्र० परिभाषा संग्रह, पृष्ठ ४५१ ।
SR No.002283
Book TitleSanskrit Vyakaran Shastra ka Itihas 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYudhishthir Mimansak
PublisherYudhishthir Mimansak
Publication Year1985
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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